नई दिल्ली: साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष एकजुट होने की तमाम कवायद लगाता दिखाई दे रहा है. हालांकि कई मौकों पर विपक्ष के बीच बिखराव भी देखने को मिला लेकिन अब विपक्ष के कई बड़े नेता साथ नज़र आने वाले हैं गौरतलब है कि विपक्ष का एक जुट इस समय के आठ बड़े दलों के नेताओं को साथ लाने के लिए कोशिशों में जुटा हुआ है. बता दें, इन सभी दलों के नेताओं ने ही पीएम मोदी को केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए पत्र लिखा था.
हालांकि कांग्रेस इससे बाहर थी दूसरी ओर ये दल एक साथ नज़र आते हैं तो अगले साल लोकसभा चुनाव के पहले ही एक नए समूह का उदय हो सकता है. लेकिन वर्तमान में विपक्ष ने कई मुद्दों पर भाजपा को घेरने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए 5 मार्च को लिखे गए इस पत्र में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामले का भी हवाला दिया गया था. इसी कड़ी में अब योजना के एक हिस्से के तौर पर सपा नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 17 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पहुंचेंगे.
दरअसल इस बार कोलकाता में समाजवादी पार्टी की छठी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का आयोजन होने वाला है. साल 1992 में इस पार्टी की स्थापना के बाद भी सपा की पहली कार्यकारिणी बैठक कोलकाता में ही हुई थी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं 18 और 19 मार्च को समाजवादी पार्टी कोलकाता में होने वाली इस बैठक में 2024 की चुनावी तैयारी की दिशा तय कर सकती है.
रिपोर्ट्स की मानें तो एक बड़े विपक्षी नेता ने बयान दिया है कि दिल्ली में चल रहे बजट सत्र के दौरान आठ दलों की बैठक होने वाली है. इन्होंने ने कहा कि सभी आठ दलों के नेता की सहमति के बाद इसे निर्धारित किया जाएगा. इस बैठक में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, BRS के तेलंगाना सीएम केसीआर, राजद के बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, सपा के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, एनसीपी के शरद पवार, शिवसेना के उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के उद्धव ठाकरे शामिल हो सकते हैं. इस बैठक में 2024 के चुनाव के लिए एक आम रणनीति तैयार की जा सकती है.
इस दौरान कयास लगाए जा रहे हैं कि इस विपक्षी गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखा जा सकता है. क्योंकि कांग्रेस की चुनावी रणनीति क्षेत्रीय दलों की योजनाओं के अनुरूप नहीं है. ऐसे में अन्य राज्यों में भाजपा विरोधी ताकतों को एक साथ लाए जाने की योजना बनाई जा सकती है.
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