7th Pay Commission: जानिए क्यों वेतनमान में असमानता से पीड़ित हैं केंद्रीय सरकारी कर्मचारी

7th Pay Commission: देश के केंद्रीय सरकारी कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर निर्धारित लागू वेतनमान को लेकर मोदी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं. आइए जानते हैं कि क्या, क्यों औक कितनी हैं कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतनमान में असमानता.

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7th Pay Commission: जानिए क्यों वेतनमान में असमानता से पीड़ित हैं केंद्रीय सरकारी कर्मचारी

Aanchal Pandey

  • November 16, 2018 8:15 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. 7th Pay Commission: देश के सवा करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को जल्द ही सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा वेतन का तोहफा देने वाली है. माना जा रहा है कि मोदी सरकार कर्मचारियों की सैलरी में 3 से 5 हजार तक का इजाफा कर सकती है. लेकिन कर्मचारी केंद्र सरकार से और ज्यादा वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं.वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी पुष्टि की है कि केंद्र ने संशोधित फिटनेस फैक्टर को अंतिम रूप दे दिया है और 26 जनवरी, 2019 को घोषित हो सकती है.

केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मांग है कि न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से 26,000 रुपये हो जाए.वे यह भी मांग कर रहे हैं कि फिटमेंट फैक्टर को वर्तमान 2.57 गुना के बजाय 3.68 गुना बढ़ाया जाए. कई केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और संघों का आरोप है कि 7 वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर लागू बेसिक वेतन ने निम्न, मध्यम और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों के बीच असमानता पैदा कर दी है. यह विभिन्न स्तरों के लिए विभिन्न फिटनेस कारकों को अपनाने के केंद्र के दृष्टिकोण के कारण हुआ है.

7वें वेतन आयोग के अनुसार निर्धारित उच्चतम फिटमेंट फैक्टर 17 पर है, जिसके अनुसार इस स्तर पर अधिकारियों को 2,25,000 रुपये का मूल वेतन मिलता है. दूसरी ओर निचले और मध्यम स्तर के कर्मचारियों को 2.57 गुना फिटमेंट फैक्टर मिला था. जिसके आधार पर कर्मचारियों को 18000 रुपये बेसिक सैलरी मिलती है.

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