7th Pay Commission: केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच तनाव के कारण देश के सवा करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद थी कि जल्द ही उनकी मांगों के अनुसार उनके न्यूनतम वेतन में वृद्धि हो जाएगी. लेकिन मोदी सरकार और आरबीआई के बीच तनाव के कारण इसकी घोषणा में देरी हो सकती है.
नई दिल्ली. 7th Pay Commission: देश के सवा करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को जल्द ही उनका न्यूनतम वेतन बढ़ने की उम्मीद थी. लेकिन इन कर्मचारियों की उम्मीदों को झटका लगता दिख रहा है. इसका कारण केंद्र की मोदी सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच का विवाद बन सकता है. जानकारों के अनुसार जल्द ही केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में बढ़ोत्तरी का ऐलान होना था. लेकिन अब इसे मार्च 2019 तक के लिए टाला जा सकता है.
केंद्रीय कर्मचारी काफी समय से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार निर्धारित न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि मोदी सरकार ने 7वां वेतन आयोग लागू करने में कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ भेदभाव किया है. 7वें वेतन आयोग का अधिकारियों को अधिक और कर्मचारियों को बहुत कम फायदा हुआ है. केंद्र सरकार ने 01 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग का ऐलान किया था.
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधर पर कर्मचारियों के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.57 और अधिकारियों के 17 निर्धारित किया गया था. जिसके आधार पर कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 18000 और अधिकारियों की न्यूनतम सैलरी 2,25,000 निर्धारित की गई थी. कर्मचारियों की मांग है कि उनके फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 3.68 किया जाए, ताकि उनकी बेसिक सैलरी 18000 से बढ़कर 26000 हो जाएं. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार जल्द ही कर्मचारियों की मांग के अनुसार वेतन वृद्धि का ऐलान कर सकती है.
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