केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की भत्तों संबंधी सिफारिशें 34 संशोधन के बाद स्वीकार कर ली थीं. सरकार केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने को राजी है. लेकिन पिछले साल से बढ़े हुए वेतन का जो बकाया निकलेगा उसे नहीं दिया जाएगा. मीडिया में इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं. बताया जा रहा है कि वित्त मंत्री अरुण अप्रैल से पहले कैबिनेट मीटिंग में इस बात को साफ कर सकते हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की शिफारिशें लागू होने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में यह खबर उनकी खुशियों में थोड़ा विध्न डाल सकती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार कर्मचारियों को एरियर नहीं देगी. यानि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतन का जो पिछला पैसा बकाया होगा वह भत्ते के रुप में नहीं मिलेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली अप्रैल से पहले होने वाली मीटिंग में कैबिनेट के सामने यह प्रस्ताव रख सकते हैं.
6 जुलाई, 2017 को केंद्र सरकार ने 7 वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया था. समिति की भत्ता (सीओए) और ई-कॉसम की सिफारिश के आधार पर मंत्रिपरिषद ने 28 जून 2017 को आयोजित बैठक में 34 भत्तों में संशोधन को मंजूरी दी थी. 34 भत्तों में संशोधन के साथ सरकार ने यह सिफारिश मान ली थी. सभी भत्ते 1 जुलाई 2017 से प्रभावी हो रहे हैं. इससे 34 लाख सिविल कर्मचारी और 14 लाख रक्षा कर्मियों को लाभ मिलेगा.
केंद्र सरकार के सातवें वेतन आयोग के अनुसार फिटमेंट 2.57 के अनुसार कर्मचारियों का वेतन 1 जनवरी 2016 से बेसिक सैलरी 7000 से बढ़ाकर 18000 रुपए कर दिया गया है. लेकिन इससे परे कर्मचारियों की मांग है कि उनका न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 26,000 रुपए प्रति माह किया जाए और इसके अलावा फिटमेंट फेक्टर को 3.68 गुना बढ़ाया जाए. वहीं उच्चतम स्तर पर (सचिव आदि का वेतन) वेतन 90,000 रुपये से 2.5 लाख तक बढ़ाने के संकेत हैं. क्लास वन के ऑफिसर की सैलरी 56,100 रुपये से स्टार्ट होगी. अभी हाल ही में खबरें सामने आई थीं कि सरकार अप्रैल में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन बढ़ोत्तरी कर सकती है. मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया था कि अगले वित्तीय वर्ष में राजपत्र पर यह जानकारी होगी जबकि इसका कार्यान्वयन अप्रैल 2018 से किया जाएगा.