नई दिल्ली. भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आज जन्म जयंती है. कलाम साहब को दुनिया मिसाइल मैन के नाम से जानती है. मिसाइल मैन आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके विचार, उनकी बातें आज भी सबके दिलों में जिंदा हैं.
आज भी हिंदूस्तान उनकी बातों को याद करके उनको अपने दिलों में सजों कर रखता है. कलाम साहब हमेशा कहा करते थे कि ‘सपना वो नहीं, जो आप नींद में देखते हैं. ये तो एक ऐसी चीज है, जो आपको नींद ही नहीं आने देती’.
कलाम का जन्म मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ
कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक निम्न मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे और माता आशियम्मा गृहणी थीं. कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है. परिवार में कलाम सबसे छोटे थे. असाधारण कलाम का बचपन भी असाधारण रहा. उनके अंदर बचपन से ही नई चीजों को सीखने की इच्छा रही. पांच साल की उम्र में रामेश्वमरम के एक प्राथमिक स्कूल में कलाम की शिक्षा की शुरूआत हुई. उनकी पढ़ने की लगन और क्षमता को देख कर उनके शिक्षक भी काफी प्रभावित हुए.
कलाम पिता की आर्थिक मदद के लिए अखबार बेचते थे
कलाम पिता की आर्थिक रूप से मदद के लिए अखबार भी बेचते थे. कलाम ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बल पर अपनी शिक्षा पूरी की. शिक्षा पूरी करने के बाद कलाम ने 1958 में तकनीकी केन्द्र ‘सिविल विमानन’ में सीनियर साइंटिस्ट असिस्टेंट का काम संभाला और अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने पहले साल में ही एक ‘मार्क्समन सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट’ की डिजाइन तैयार कर अपने जीवन के सुनहरे सफर की शुरुआत की. इसके बाद कलाम ने 1962 में ‘इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन’ से जुड कर उम्होंने वहां हर तरह की पोसिशन्स पर काम किया.
मिसाइल मैन ने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया
कलाम ने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य से रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी.एस. अरुणाचलम के निर्देशन में ‘एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम’ की शुरुआत की. इसके तहत ‘त्रिशूल’, ‘पृथ्वी’, ‘आकाश’, ‘नाग’, ‘अग्नि’ और ‘ब्रह्मोस’ मिसाइलों का उन्होंने विकास किया है. इन मिसाइलों के सफल विचार ने भारत को एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और वेपन्स सिस्टम्स से सम्पन्न देशों में ला खड़ा किया. उन्होंने भारत को बलशाली बनाने के लिए सफल परमाणु परीक्षण किया. इससे भारत ने परमाणु हथियार को बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की. कलाम देश के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर भी रहे.
कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने
कलाम 25 जुलाई, 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में निखर कर सामने आए. एक मुसलमान होने के बावजूद वह हिदू संस्कृति में विश्वास रखते थे. देश के राष्ट्रपति का कार्यभार भलीभांति निभाने के बाद उन्होंने देश की सेवा का काम जारी रखा और एक दिन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, शिलांग में 27 जुलाई, 2015 की शाम एक लेक्चर के दौरान कलाम को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
कलाम का जन्मदिन ‘विद्यार्थी दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा
भारत सरकार ने कलाम के सम्मान में उनके जन्मदिन 15 अक्टूबर को ‘विद्यार्थी दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.