गया. चुनावी रैलियों में लालू अपने एक दशक पुराने अवतार में लौटते क्यों दिख रहे हैं ? एनडीए के नेता सिर्फ लालू को ही निशाना क्यों बना रहे हैं ? क्या लालू को लगने लगा है कि उनका वोटर उनके खास मिज़ाज का ही मुरीद है. क्या लालू को ये भरोसा हो गया है कि अपने वोट-बैंक को वो विकास के वादों से नहीं बल्कि अपने ठेठ अंदाज से अपने पाले में रोक पाएंगे ?
दूसरी तरफ अगर एनडीए की बात करें तो क्या उन्हें भी यही भरोसा हो चला है कि अगर सिंहासन चाहिए तो लालू को कमजोर करो ? कुल मिलाकर लालू प्रसाद यादव इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में फोकस बन गए हैं. दोनों खेमों की जीत हार का दारोमदार लालू की ताकत पर ही टिक गया है और लालू लंबे अरसे बाद मिली इस ताकत को पहचान गए हैं.
वीडियो में देंखे ‘किस्सा कुर्सी का’
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