आखिर बिहार चुनाव में विकास पर ‘बीफ’ क्यों भारी ?

नई दिल्ली. एक आजाद मुल्क के ही एक सूबे की जनता कई सालों से रोजी रोटी कमाने के लिए अपना घर-बार छोड़कर देश के दूसरे हिस्सों में भटक रही है. मेहनत मजदूरी जैसे साधारण कामों के लिए भी बिहार की जनता को दूसरे प्रदेशों का मुंह देखना पड़ता है, लेकिन बिहार के हुक्मरानों के लिए […]

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आखिर बिहार चुनाव में विकास पर ‘बीफ’ क्यों भारी ?

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  • October 10, 2015 4:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. एक आजाद मुल्क के ही एक सूबे की जनता कई सालों से रोजी रोटी कमाने के लिए अपना घर-बार छोड़कर देश के दूसरे हिस्सों में भटक रही है. मेहनत मजदूरी जैसे साधारण कामों के लिए भी बिहार की जनता को दूसरे प्रदेशों का मुंह देखना पड़ता है, लेकिन बिहार के हुक्मरानों के लिए ये कोई मुद्दा ही नहीं है.
 
 
एक बार फिर चुनाव सिर पर हैं, लेकिन बिहार के लोगों की तकदीर देखिए, कि इस स्याह तस्वीर को सुधारने और विकास-रोजगार के मुद्दों पर बहस करने की बजाय बिहार के धुरंधर गोमांस को लेकर मरने मारने को उतारू हैं.  गोमांस के नाम पर बिहार की जनता को एक बार फिर से बेवकूफ बनाने की साजिश की जा रही है.
 
देखिए इसी पर बड़ी बहस-

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