किस्सा कुर्सी का: इसी सीट से बिहार में शुरू हुआ था कांग्रेस का पतन

भागलपुर. बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में अब दो ही दिन बाकी रह गए हैं और जनता की राय जानने ले लिए इंडिया न्यूज़ अपने विशेष कार्यक्रम ‘किस्सा कुर्सी का’ में एडिटर इन चीफ दीपक चौरसिया के साथ आ पहुंचा है सिल्क की नगरी भागलपुर. आपको बता दें कि भागलपुर जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. विहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज और नाथनगर.
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भागलपुर से तो पास के ही बांका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में अपने चुनाव प्रचार अभियान का श्रीगणेश किया है. मोदी इससे पहले ही भागलपुर में परिवर्तन रैली कर चुके हैं.  1989 में भागलपुर में भड़के दंगों के बाद से ही राज्य में कांग्रेस का पतन शुरू हुआ था और आज पार्टी की यह हालत हो गई है कि वो एक बड़े गठबंधन में महज 41 सीटें लड़ रही है.
भागलपुर सीट पर बगावत से बीजेपी परेशान
भागलपुर सीट पर एक लाख के करीब मारवाड़ी और वैश्य वोटर हैं जिस पर विजय साह की पकड़ है. विजय साह पार्टी के नगर अध्यक्ष रहे हैं. अमित शाह ने कहा है कि जो बागी नहीं सुधरे उनको पार्टी से निकाल दिया जाएगा.  विजय साह खुद को कार्यकर्ताओं का कैंडिडेट बताकर वोट मांग रहे हैं. आरएसएस के कई स्थानीय नेताओं का साह को साथ मिल रहा है. विजय का दावा है कि बीजेपी कैंडिडेट को 5 अंक में भी वोट नहीं मिलेंगे.
बीजेपी की खींचतान का फायदा कांग्रेसी अजित शर्मा को मिल रहा है. 2014 उप-चुनाव में उन्होंने बीजेपी के नभय चौधरी को हराया था. बीजेपी में काफी लोगों का मानना है कि ब्राह्मण वोटरों यानी चौबे कैंप ने जानबूझकर नभय को हराया ताकि अरिजित का रास्ता 2015 में खुल जाए. माना जा रहा है कि साह को शहनवाज हुसैन का सपोर्ट है जो 2014 का लोकसभा चुनाव चौबे कैंप की तरफ से भितरघात के कारण हार गए. शहनवाज मोदी लहर के बावजूद छोटे अंतर से हार गए.
भागलपुर का गणित
भागलपुर सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण, भूमिहार और वैश्य वोटर हैं. ब्राह्मण का वोट अर्जित के साथ दिख रहा है लेकिन भूमिहार वोट में अजीत शर्मा ने सेंध लगा रखी है. वैश्य वोट विजय साह के साथ चला गया तो अर्जित का खेल खराब होगा. कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा अभिनेत्री नेहा शर्मा के पिता हैं. अजीत इस बार के चुनाव में करोड़पति प्रत्याशियों की सूची में राज्य में तीसरे नंबर पर हैं. अजीत के पास 40 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. अजीत शर्मा पहले बीएसपी में रह चुके हैं.
अपनों से ही परेशान है ऑफिसियल कैंडिडेट
भागलपुर जिले की कम से कम चार सीटों के प्रमुख उम्मीदवार अपनी ही पार्टी के किसी और नेता की वजह से परेशान हैं. भागलपुर शहर में भाजपा के अर्जित शाश्वत अपने दल के विजय साहु की दमदार उपस्थिति से असहज हैं.  नाथनगर में ऐसा ही संकट जदयू के अजय मंडल झेल रहे हैं. उन्हें अबू कैसर से जूझना पड़ रहा है.  सुल्तानगंज में जदयू के सुबोध राय कांग्रेस के बागी उम्मीदवार ललन पासवान से दो-चार हो रहे हैं तो बिहपुर में राजद उम्मीवार वर्षा रानी को कभी अपने साथ रहे निर्दलीय लाल बहादुर शास्त्री की बगावत का सामना करना पड़ रहा है.
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