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Afghanistan Crisis: काबुल में पाक मुर्दाबाद के नारों से तिलमिलाया तालिबान, अपने ही लोगों पर की फायरिंग

नई दिल्ली. काबुल में पाकिस्तान के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को दबाने के लिए तालिबान ने फायरिंग कर दी। इसकी पुष्टि कई मीडिया एजेंसियों की ओर की गई है। जानकारी के मुताबिक, सैकड़ों की संख्या में महिलाएं व पुरुष पाकिस्तान का विरोध करते हुए राष्ट्रपति भवन की तरफ बढ़ रहे थे, जिनको खदेड़ने के लिए […]

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Afghanistan Crisis
  • September 7, 2021 3:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली. काबुल में पाकिस्तान के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को दबाने के लिए तालिबान ने फायरिंग कर दी। इसकी पुष्टि कई मीडिया एजेंसियों की ओर की गई है। जानकारी के मुताबिक, सैकड़ों की संख्या में महिलाएं व पुरुष पाकिस्तान का विरोध करते हुए राष्ट्रपति भवन की तरफ बढ़ रहे थे, जिनको खदेड़ने के लिए तालिबानी लड़ाकों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इससे अफरा-तफरी मच गई।

बता दें, अफगानिस्तान में पाकिस्तान को कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। सोमवार देर रात काबुल में पाकिस्तान मुर्दाबाद और आईएसआई चीफ की वापसी के नारे भी लगे थे। असवाका न्यूज एजेंसी के मुताबिक काबुल में राष्ट्रपति भवन के पास सेरेना होटल भी है। इसी होटल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ फैज हमीद एक सप्ताह से रुके हुए हैं।

प्रदर्शनकारी इसी होटल की ओर बढ़ रहे थे। पाकिस्तान को पंजशीर में तालिबान की मदद करना भारी पड़ गया है। नॉदर्न अलायंस के लड़ाकों के खिलाफ पाकिस्तानी वायु सेना द्वारा बीते दिनों किए गए हमलों के बाद अफगानिस्तान में उसका खुलकर विरोध होने लगा है। सोमवार रात काबुल में इसकी बानगी भी देखने को मिली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानी महिलाएं आईएसआई चीफ और पाकिस्तान के खिलाफ सड़क पर उतर आईं। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए और आईएसआई चीफ फैज हमीद के वापस जाने की मांग की। अफगानिस्तान के कई हिस्सों में पाकिस्तान का विरोध पहले से ही हो रहा है, लेकिन यह पहला मौका है जब काबुल में इस तरह का प्रदर्शन देखा गया। यहां महिलाएं रात में सड़क पर उतरीं और पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

पिछले दिनों ईरान ने भी पाकिस्तानी वायु सेना के हमलों का विरोध किया था और अफगानिस्तान में बाहरी देश के दखल पर आपत्ति जताई थी। सत्ता पर तालिबान के काबिज होते ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी चीफ फैज हमीद अचानक से अफगानिस्तान के अघोषित दौरे पर पहुंच गए थे। बताया जा रहा है कि सरकार गठन को लेकर उनकी बैठक हक्कानी नेटवर्क और तालिबानी नेताओं के साथ होने वाली है। अफगान नागरिक इसी से खफा हैं और पाकिस्तान के हस्तक्षेप पर आपत्ति जता रहे हैं। पाकिस्तान पर पहले से ही तालिबान का साथ देने के आरोप लग रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स यहां तक कि कई अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने भी तालिबान के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने का दावा किया है।

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