नई दिल्ली. भारत ने इस साल पेरिस में होने वाले महासम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन पर अपने रोडमैप की घोषणा कर दी है. इसका औपचारिक ऐलान जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया. सरकार ने फैसला किया है कि वह 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता में 33 से 35 फीसदी कटौती करेगी. यह कमी साल 2005 को आधार मान कर की जाएगी. इमिशन इंटेसिटी कार्बन उत्सर्जन की वह मात्रा है जो 1 डॉलर कीमत के उत्पाद को बनाने में होती है.
तीन खरब टन तक कार्बन को सोखने के लिए अतिरिक्त जंगल
सरकार ने यह भी फैसला किया है कि 2030 तक होने वाले कुल बिजली उत्पादन में 40 फीसदी हिस्सा कार्बनरहित ईंधन से होगा. यानी, भारत साफ सुथरी ऊर्जा (बिजली) के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है. भारत पहले ही कह चुका है कि वह 2022 तक वह 1 लाख 75 हजार मेगावाट बिजली सौर और पवन ऊर्जा से बनाएगा. वातावरण में फैले ढाई से तीन खरब टन कार्बन को सोखने के लिए अतिरिक्त जंगल लगाए जाएंगे.
कैसा है भारत का रोडमैप
भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि वह सेक्टर आधारित (जिसमें कृषि भी शामिल है) लिटिगेशन प्लान के लिए बाध्य नहीं है. इस साल के अंत में जलवायु परिवर्तन पर महासम्मेलन फ्रांस की राजधानी पेरिस में हो रहा है. अमेरिका, चीन, यूरोपियन यूनियन जैसे देशों ने पहले ही अपने रोडमैप की घोषणा कर दी है. भारत का रोडमैप इन देशों के मुकाबले ज्यादा प्रभावी दिखता है.