नई दिल्ली: असम के 700 साल पुराने मोईदाम ने शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में जगह बनाई, जो अब पूर्वोत्तर का पहला सांस्कृतिक स्थल बन गया है. इस प्रक्रिया के लिए एक दशक से भी अधिक समय पहले भेजा गया था. वहीं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह दिन स्वर्णिम अक्षरों में अंकित होगा. उन्होंने यूनेस्को को धन्यवाद देते हुए कहा कि हम ‘मोईदाम’ के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को समझने के लिए यूनेस्को, विश्व धरोहर समिति को धन्यवाद देते हैं.
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मोईदाम ने सांस्कृतिक संपत्ति श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में जगह बनाई है, यह असम के लिए एक बड़ी जीत है. इसे सांस्कृतिक श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है और काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यानों के बाद यह असम का तीसरा विश्व धरोहर स्थल है.
असम में पटकाई पर्वतमाला की तलहटी में स्थित इस स्थल में ताई-अहोम का शाही क़ब्रिस्तान शामिल है, इसमें ईंट, पत्थर या मिट्टी से बनी खोखली वाल्टें जो खूबसूरती को बढ़ावा देते हैं. यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार ताई-अहोम ने 600 वर्षों तक पहाड़ियों, जंगलों और पानी की प्राकृतिक स्थलाकृति को बढ़ाते हुए इन मोईदामों का निर्माण किया, जिससे एक पवित्र भूगोल का निर्माण हुआ.
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