गुवाहाटी. असम के डीजीपी खगन शर्मा ने आशंका ज़ाहिर की है राज्य में जिहादी एक्टिविटीज बढ़ने के पीछे ISIS का हाथ सामने आ रहा है. पुलिस का कहना है कि उनके पास इंटरनेशनल टेररिस्ट ग्रुप ISIS के असम में पांव पसारने के पुख्ता सबूत भी हैं. डीजीपी ने कहा कि किसी ने भी अभी तक ISIS ज्वाइन नहीं किया है, लेकिन लोगों की इस आतंकी संगठन में दिलचस्पी बढ़ी है. इसे लेकर वे बेहद चिंतित और अलर्ट हैं.
साइबर सेल कर रहा है मॉनिटर
शर्मा ने कहा कि बहुत सारे लोगों ने आईएसआईएस की वेबसाइट्स सर्फ की है. रिकॉर्ड तादाद में इन वेबसाइट्स पर हुए हिट्स को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह महज दिलचस्पी से कुछ ज्यादा है. ऐसा जम्मू-कश्मीर या आंध्र प्रदेश में भी हो रहा है. डीजीपी के मुताबिक, असम पुलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) का साइबर सेल डिपार्टमेंट ऐसे मामलों पर काम कर रहा है. डीजीपी ने कहा कि हमारे पास इस तरह के मामलों से निपटने लायक इक्विपमेंट नहीं हैं. हालांकि, नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन भी इस तरह के मामलों पर नजर रख रहा है.
हिंदू और इस्लामिक कट्टरपंथियों से खतरा
डीजीपी ने यह भी कहा कि राज्य को हिंदू और मुस्लिम, दोनों तरह की कट्टरपंथी ताकतों से खतरा है. राज्य में इस्लामिक तत्वों की एक्टविटिज नजर आ रही हैं, लेकिन फिलहाल हिंदू ग्रुप उतने सक्रिय नहीं हैं. डीजीपी के मुताबिक, ”हाल ही में हमने बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के 24 मेंबर्स को अरेस्ट किया है. बांग्लादेश सरकार की ओर से इस संगठन के खिलाफ कदम उठाने की वजह से इसके मेंबर असम और भारत के कुछ दूसरे राज्यों में फैल गए हैं. इससे पहले हमने हूजी के आतंकियों को भी अरेस्ट किया है.”
एजेंसी इनपुट भी
छोटे शहरों से ज्यादा ट्रैफिक
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एक इंटेलिजेंस एजेंसी ने नेशनल सर्वे किया है. सर्वे कहता है कि आईएसआईएस से जुड़े प्रोपेगैंडा कंटेंट के लिए सबसे ज्यादा ट्रैफिक बड़े शहरों से नहीं, बल्कि यूपी के उन्नाव और महाराष्ट्र के चिंचवड़ जैसे छोटे कस्बों से आ रहा है. किसी दूसरे राज्य के मुकाबले यूपी के सबसे ज्यादा कस्बों और शहरों में आईएसआईएस से जुड़ा कंटेंट युवाओं को लुभा रहा है. सर्वे के मुताबिक, आईएस से रिलेटेड सोशल मीडिया एक्टिविटी में दिलचस्पी दिखाने वालों की उम्र 16 से 30 साल के बीच है. आईएस से जुड़े इंटरनेट और सोशल मीडिया यूज को कैलकुलेट करने के लिए लोगों की फेसबुक, टि्वटर, यूट्यूब और गूगल की एक्टिविटीज को सर्वे में शामिल किया गया.