लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार आजकल एक बड़ी परेशानी में फंस गयी है. दरअसल विधान सभा सचिवालय में चपरासी के 368 पदों के लिए 23 लाख से ज्यादा लोगों ने एप्लाई कर दिया है. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इनमें 255 पीएचडी, डेढ़ लाख से ज्यादा बीटेक , बीएससी, बीकॉम और 25000 आवेदक एमएससी, एमकॉम और एमए हैं.
सरकार के उड़ गए हैं होश
दरअसल इस बार चपरासियों की भारती के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की भी व्यवस्था की गई थी. अर्ज़ी देने की मियाद पूरी हुई और अफसरों ने अर्जियों की तादाद पता की तो उनके होश उड़ गए. चपरासी के 368 पदों के लिए 23 लाख से ज्यादा अर्ज़ियां आ गईं. सरकार की तरफ से चपरासी के पद के लिए दो ही योग्यताएं मांगी गई थीं कि आवेदक को पांचवी पास होना चाहिए और उसे साइकिल चलाना आना चाहिए. जब इन अर्जियों का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि इनमें दरजा पांच पास तो सिर्फ 53000 लोग ही हैं, लेकिन 153000 लोग बीटेक, बीएससी, बीकॉम और बीए हैं.
चार साल बाद ही बन पाएंगे चपरासी भी
आपको बता दें कि अगर 23 लाख लोगों के इंटरव्यू किए जाएं तो इसमें 10 इंटरव्यू बोर्ड बनाने पर भी 4 साल से ज्यादा वक्त लगेगा. भर्ती का कोई और तरीका अपनाने के लिए भर्ती नियमावली बदलनी होगी. अगर नियमावली बदली गई तो दुबारा अर्ज़ियां मांगनी होंगी. सरकार के मंत्री अम्बिका चौधरी कहते हैं कि इससे एक और समस्या पैदा हो सकती है. हो सकता है कि इतना पढ़ने-लिखने के बाद चपरासी बनने वाला कुंठा का शिकार हो जाए. यह भी हो सकता है कि इतने पढ़े-लिखे चपरासी से काम लेने में अफसरों को भी हिचकिचाहट हो.