भोपाल. भोपाल में 32 साल बाद हुए 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. मोदी ने इस मौके पर कहा, आने वाले दिनों में डिजिटल दुनिया में अंग्रेजी, चीनी और हिंदी का दबदबा बढ़ने वाला है.
पीएम ने कहा कि भारत में भाषाओं का अनमोल खजाना है. इन भाषाओं को हिंदी से जोड़ने पर राष्ट्रभाषा और ताकतवर होती जाएगी. वहीं, दूसरी तरफ सम्मेलन में हिंदी साहित्य के जानी-मानी बड़ी जमात को नहीं बुलाया गया है. इसी बात को लेकर देश में चर्चा चल रही है कि हिंदी सेवा, हिंदी साहित्य सेवा से अलग है.
क्या हिंदी की सेवा में साहित्यकारों की भूमिका को नजरअंदाज किया जा सकता है. अर्ध-सत्य ने पड़ताल की है कि आखिर विश्व हिंदी सम्मेलन में बड़े साहित्यकारों को ना बुलाने का सच क्या है? सवाल उठता है कि क्या साहित्यकार भाषा के प्रचार में अहम नहीं होते हैं ?
देखिए ‘अर्ध-सत्य’ का यह खास एपिसोड-
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