नई दिल्ली: आमतौर पर शास्त्रीजी की मौत के बाद पीएम पद के ऑफीशियल या अनऑफीशियल दावेदारों में इंदिरा, मोरारजी देसाई, गुलजारी लाल नंदा और कामराज को ही गिना जाता है लेकिन किसी को सालों तक ये नहीं पता चला कि नेहरू परिवार से ही एक और अहम सदस्य पीएम बनने का ख्वाहिशमंद था. उसका तो ये तक मानना था कि नेहरू के बाद वही सबसे उपयुक्त उम्मीदवार है. वो थी पंडित नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित. उनकी इस ख्वाहिश के बारे में उन्हीं की बहन कृष्णा ने बाद में लिखा था कि कैसे पंडित शास्त्री की मौत की खबर के बाद अपना अमेरिका दौरा बीच में ही छोड़कर विजय लक्ष्मी जल्दी भारत लौटीं और आकर कामराज से मिलीं.
जबकि कामराज ने उनके बारे में सोचा भी नहीं था. दरअसल अमेरिका, रूस, मैक्सिको आदि देशों में राजदूत रहने के बाद वो 62 से 64 तक महाराष्ट्र की गर्वनर रहीं और जब नेहरू की मौत हो गई तो वो उन्हीं की सीट फूलपुर से चुनाव लड़ने चली गईं और लोकसभा सदस्य बन गईं. उन्हें लगा था चूंकि वो फिर से एक्टिव पॉलटिक्स में आ चुकी हैं, और उनको इतने देशों में काम करने का तजुर्बा है, और नेहरू परिवार की सदस्य भी हैं, तो उन्हें चुन लिया जाएगा. लेकिन कामराज से उनको पता चला कि इंदिरा रेस में आगे हैं. इंदिरा के पीएम बनने के बाद उन्होंने तो साल इंतजार भी किया कि शायद इंदिरा उनको मंत्री बनाएं या किसी डेलीगेशन पर देश से बाहर जाने का मौका दें, लेकिन इंदिरा तो उनसे खार खाई हुई थीं.
इंदिरा ने उन्हें ऐसा कोई मौका नहीं दिया, दो साल तक तो उनकी बूआ ये सब चुपचाप झेलती रहीं, लेकिन दो साल बाद विजय लक्ष्मी पंडित ने उठाया इतना बड़ा कदम कि हर कोई चौंक गया, क्या था वो कदम, जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो