नई दिल्ली: इंदिरा गांधी ने जब सत्ता संभाली तो उनके सामने तीन बड़ी समस्याएं थीं, एक आर्थिक मंदी का दौर, दूसरा सूखे की समस्या, मॉनसून इस बार भी कमजोर आया, तीसरी राजनीतिक समस्या थी पंजाब और मेघालय जैसे राज्यों की जहां अलगाववादी सुर उठने लगे थे. सबसे पहले उन्होंने खाद्यान्न की समस्या पर फोकस किया. उस वक्त देश में फूड जोन सिस्टम लागू था, एक राज्य से दूसरे राज्य में अनाज की आवाजाही पर पाबंदी थी. इंदिरा ने एआईसीसी की मीटिंग में फूड जोन खत्म करने का प्रस्ताव रखा तो लोगों ने इसका विरोध कर दिया, इंदिरा का कॉन्फीडेंस लूज होता साफ दिख रहा था.
आज सर पर पिता का साया नहीं था, अब फैसले खुद लेने थे और उसका तजुर्बा नहीं था. इंदिरा गांधी ने अपनी दोस्त पुपुल से कहा भी कि मेरा कॉन्फीडेंस आज लो है तो इसके लिए मेरी आंट जिम्मेदार हैं, बचपन से ही मुझे अगली एंड स्टुपिड बोला करती थीं. वो लोकसभा में अपनी परफॉरमेंस और विपक्ष की हमले की सोच सोच करके परेशान थीं. और ऐसा हुआ भी ऐसा ही, इंदिरा ज्यादातर वक्त लोकसभा में खामोश ही रहती थीं. ऐसे में राम मनोहर लोहिया ने उन्हें गूंगी गुडिया कहना शुरू कर दिया.
लोहिया ने नेहरू का भी पुरजोर विरोध किया था, एक दमदार नेता विरोध करे तो इंदिरा जैसी नई नेता के लिए मुश्किल भरी बात थी. लेकिन वही इंदिरा में जब कॉन्फीडेंस वापस लौटा तो पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. उस वक्त इंदिरा को गूंगी गुड़िया दिखाते कार्टून अखबारों में कैसे बनते थे, देखने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो