नई दिल्ली: नेहरू गांधी की बेटी होने की वजह से इंदिरा गांधी शुरू से ही सख्त हो चलीं थी. वो हर माहौल में खुद को ढाल लेती थीं. पिता साथ रहते नहीं थे, मां बीमार रहती थीं और इंदिरा को अलग अलग देशों के अलग अलग शहरों में पढ़ने जाना पड़ा था. ऐसे में जब 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो इंदिरा भी उतर गईं मैदान में, कई दिन उन्होंने इलाहाबाद में मोर्चा संभाला. इसी आंदोलन में इंदिरा हुई थीं पहली बार हुई गिरफ्तार और हुई 8 महीने की जेल. जेल में उनको शुरू के सात महीने तक तो नेहरू को खत लिखने की भी इजाजत नहीं थी. नैनी जेल में इंदिरा को अपनी बूआ विजयलक्ष्मी पंडित के साथ वाले सेल मे बंद कर दिया. फीरोज करीब 10 महीने तक जेल में रहे. इंदिरा ने जेल में मन लगाने के लिए एक बिल्ली भी पाल ली थी. जेल के प्रवास ने इंदिरा को और मजबूत बना दिया था.
अकेलेपन की वो मजबूती उनके तब भी काम आई, जब 1957 में उनकी एक सभा सुबह सुबह पंजाब के एक ऐसे गांव में रखी गई, जो मेन हाईवे से काफी दूर था. इंदिरा जब वहां पहुंची तो सभा में एक डायस पर माइक लगा देगा, सामने दरियां बिछी हुई थीं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था. गांव वाले अपने अपने घरो में बंद थे. उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी. ऐसे में इंदिरा ने क्या फॉर्मूला निकाला? जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो.
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