नई दिल्ली: इंदिरा गांधी की जैसे ही शादी हुई वो जवाहरलाल नेहरू के साथ कुल्लू मनाली में छुट्टियां मनाने चलीं गईं, उसके बाद वहां से लाहौर गईं, जहां फीरोज गांधी मिल गए और दो महीने के लिए दोनों हनीमून पर कश्मीर चले गए. दोनों ने इस दौरान कोई अखबार तक नहीं पढ़ा, जब वो वापस लौटे तो भारत छोड़ों आंदोलन शुरू हो चुका था. इंदिरा और फीरोज भी उसमें शामिल हो गए. एक-एक करके दोनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. नैनी जेल में इंदिरा को अपनी बूआ विजयलक्ष्मी पंडित के साथ वाले सेल मे बंद कर दिया. पूरे 8 महीने तक इंदिरा जेल में रहीं, तो फीरोज करीब 10 महीने तक. लेकिन जवाहर लाल नेहरू को फिर भी नहीं छोड़ा गया. 1944 में राजीव गांधी के जन्म के समय भी नेहरू जेल में थे. नेहरू करीब ढाई साल जेल में थे. अगले साल यानी 1945 में जब नेहरू को छोड़े जाने की खबर मिली तो इंदिरा उस वक्त श्रीनगर में थीं.
नेहरूजी के कजिन ब्रजलाल नेहरू उन दिनों कश्मीर के महाराजा के फाइनेंशियल एडवाइजर थे. ढाई साल हो गए थे इंदिरा को पिता नेहरू से मिले हुए, वो इतनी उतावली हो गईं कि एक साल के राजीव को ब्रजलाल नेहरू के घर श्रीनगर छोड़कर पहले टिकट करवाने भागीं, जो भी पहली फ्लाइट मिली उससे वो इलाहाबाद चली गईं, नन्हे राजीव गांधी को वहीं छोड़कर. इंदिरा नहीं चाहती थीं कि जब नेहरू आनंद भवन आएं तो कोई उनका स्वागत करने वाला ही ना हो. कई हफ्ते बाद वो अपने बेटे राजीव से मिल पाईं, नेहरू इंदिरा को लेकर फिर कश्मीर आए औऱ 22 जुलाई 1945 को पहली बार नेहरू ने राजीव को देखा. अगर आप नेहरूजी की नन्हे राजीव के साथ पहली मुलाकात की तस्वीर देखना चाहते हैं, तो देखिए हमारा ये वीडियो शो.