जब वामपंथियों की वजह से रुसी नहीं करना चाहते थे जवाहर लाल नेहरू की मदद तो इंदिरा गांधी ने निकाला ये फॉर्मूला
1953 में एक बार इंदिरा गांधी सोवियत रूस अकेले घूमने गईं और वो वहां की सरकार के बच्चों के लिए किए गए कुछ प्रोजेक्ट्स से काफी प्रभावित थीं. वो बच्चों के लिए ऐसी संस्थाएं भारत में स्थापित करने का मन बना चुकी थीं
November 6, 2017 3:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: 1953 में एक बार इंदिरा गांधी सोवियत रूस अकेले घूमने गईं और वो वहां की सरकार के बच्चों के लिए किए गए कुछ प्रोजेक्ट्स से काफी प्रभावित थीं. वो बच्चों के लिए ऐसी संस्थाएं भारत में स्थापित करने का मन बना चुकी थीं. 1955 मे जब इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू के साथ ऑफीशियल दौरे पर सोवियत रूस गईं तो निकिता ख्रुश्चेव पीएम थे. नेहरू मदद मांगने में हिचक रहे थे, और इंदिरा अपने पिता की इस आदत को समझती थीं. इधर इंदिरा को ये कहीं से पता चल गया था कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने सोवियत रूस की कम्युनिस्ट पार्टी के जरिए सरकार तक नेहरू की मदद ना करने की बात पहुंचा दी है. मीटिंग के बाद लंच था और सिटिंग रूम में चितिंत इंदिरा मीटिंग खत्म होने का इंतजार कर रही थी.
अचानक पीएम ख्रुश्चेव बाहर आए और इंदिरा को बैठी देखकर कहा कि नहीं लगता कि बातचीत कुछ काम की होगी. इंदिरा फौरन उठीं और उनसे बोलीं कि आप सीपीआई भारत के लोगों को रिप्रजेट नहीं करतीं, लेकिन उनके पापा भारत के लोगों की आवाज हैं. सीपीआई वाली बात इंदिरा को पता होने पर पीएम ख्रुश्चेव अवाक रह गए और इंदिरा को सबकुछ ठीक करने का आश्वासन दिया. जब मीटिंग खत्म हुई तो पता चला कि भारत और रूस एक नई दोस्ती की राह पर बढ़ चले हैं. इसके बाद कुछ अहम समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए. दोनों देशों ने मिलकर कई अहम फैसले लिए, जो आज तक जारी है. इस यात्रा पर इंदिरा गांधी, इस दौरे में इंदिरा को निकिता ख्रुश्वेच ने एक यादगार तोहफा दिया. जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो.