November 6, 2017 2:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. टैक्स चोरों के स्वर्ग पनामा, बहमास या ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड जैसे देशों में कंपनी शुरू करने, कंपनी खरीदने या खाता खोलने वाले भारतीय हस्तियों का नाम पनामा पेपर्स या पैराडाइज पेपर्स लीक में आने का मतलब ये नहीं है कि ये ऐसा खुलासा है कि हफ्ते या महीने भर में ये सारे लोग गिरफ्तार ही कर लिए जाएंगे. टैक्स बचाने या चुराने के इस खेल में फंसे लोगों के साथ क्या होगा ये इस बात से तय होगा कि किसने किस कानून का उल्लंघन कब किया. पनामा पेपर्स लीक और पैराडाइज पेपर्स लीक मिलाकर भारत के मशहूर लोगों में अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, केपी सिंह, विनोद अडाणी, जयंत सिन्हा, आरके सिन्हा, मान्यता दत्त वगैरह के नाम सामने आए हैं. आगे किसी भी शख्स का नाम लिए बिना आप मोटा-मोटी ये समझिए कि इन पेपर्स में किसी का नाम आने का मतलब क्या है और इसमें आगे क्या हो सकता है.
2013 से पहले विदेश में कंपनी खोलने की इजाजत नहीं थी भारतीय नागरिकों को
भारतीय रिजर्व बैंक के जो नियमों थे 2013 तक उसके मुताबिक भारत का कोई नागरिक देश से बाहर कंपनी शुरू नहीं कर सकता था. 2004 में पहली बार आरबीआई ने 25 हजार डॉलर सालाना विदेश में निवेश या खर्च करने की छूट दी. ये रकम आज ढाई लाख सालाना है जिसका सीधा मतलब ये है कि कोई भारतीय एक साल में ज्यादा से ज्यादा ढ़ाई लाख डॉलर विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदने में या ज्वाइंट वेंचर लगाने में या किसी को गिफ्ट करने में इस्तेमाल कर सकता है. 2004 में जब आरबीआई ने 25 हजार डॉलर सालाना विदेशी निवेश का विकल्प दिया तो कुछ लोगों ने इसे विदेश में कंपनी खड़ी करने का सिग्नल समझ लिया जिसको लेकर आरबीआई ने सितंबर, 2010 में सफाई दी और स्पष्ट किया कि इसका मतलब ये नहीं है कि भारतीय नागरिक विदेश में कंपनी शुरू कर सकते हैं. अगस्त, 2013 में भारत ने सहायक कंपनियां शुरू करने या ज्वाइंट वेंचर में निवेश करने का नियम बनाया.
पनामा पेपर्स लीक या पैराडाइज पेपर्स लीक को इस नजरिए से देखने पर समझ में आएगा कि जिन लोगों के नाम आ रहे हैं उनलोगों ने उस वक्त विदेश में कंपनियां बनाईं या विदेशी कंपनियों में निवेश किया जिस समय भारत का कानून इसकी इजाजत नहीं देता था. कई भारतीय नागरिकों ने विदेश में कंपनी शुरू नहीं करने का तकनीकी तोड़ ये निकाला कि विदेशी कंपनी को खरीदना और विदेशी कंपनी शुरू करना दो अलग चीज हैं और उनलोगों ने विदेशी कंपनियों को खरीद लिया. कुछ लोगों ने सालाना कोटा से ज्यादा पैसा विदेश में निवेश किया. कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने विदेश में हुई कमाई को भारत में दिखाया ही नहीं और उसे विदेशी कंपनी में ही जमा करा दिया. कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने विदेश में कंपनी या खाते खोले ताकि सरकारी ठेकों की दलाली या क्राइम से मिले पैसे को वहां जमा कर सकें.
टैक्स चोरों के स्वर्ग में सब कुछ गोपनीय रहता है और कमाई पर टैक्स भी नहीं लगता
टैक्स चोरों के लिए स्वर्ग समझे जाने वाले देशों में कंपनी शुरू करने के आकर्षण की सबसे बड़ी दो वजह ये है कि एक तो कंपनी का असली मालिक कौन है इसकी जानकारी गोपनीय रहती है और दूसरी कि उस कंपनी की कमाई पर टैक्स नहीं लगता है. फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट यानी फेमा, मनी लाउंड्रिंग एक्ट, ब्लैक मनी एक्ट, भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आयकर कानून जैसे तमाम कानून हैं जो इस तरह के अघोषित विदेशी निवेश या विदेशी संपत्ति वालों पर लागू होते हैं. पनामा पेपर्स लीक हों या पैराडाइज पेपर्स लीक, जिन भारतीय नागरिकों के नाम इसके जरिए बाहर आए हैं उनके खिलाफ जो जांच हो रही है या होगी, वो सारी जांच इन्हीं कानूनों के उल्लंघन के नजरिए से होगी. जांच में यही देखा जाएगा कि जिस तारीख को विदेश में कंपनी बनाई गई या विदेशी कंपनी में पैसा लगाया गया, उस तारीख को देश का कानून क्या कहता था. अगर वो उस समय गैर-कानूनी था तो सरकार देखेगी कि जुर्माना लगाया जाए या कंपनी बंद कराई जाए या जेल भेजा जाए.