पैराडाइज पेपर्स: SEBI के रडार पर भारतीय कंपनियां, जांच का ऐलान

नई दिल्लीः पैराडाइज पेपर्स खुलासे में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने कड़ा कदम उठाते हुए मामले की जांच कराने की बात कही है. 714 भारतीय कंपनियों और शख्सियतों का नाम आने के बाद सेबी ने यह फैसला लिया है. सेबी के अधिकारियों ने बताया कि अमिताभ बच्चन, मान्यता दत्त, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, आरके सिन्हा, विजय माल्या सहित जिन लोगों और सूचीबद्ध कंपनियों के नाम इस खुलासे में उजागर किए गए हैं, उनके खिलाफ विदेश में कंपनी खोलकर फंड का हेरफेर करने कॉरपोरेट गवर्नेंस के नियमों के उल्लंघन के तहत जांच की जाएगी.
सेबी अधिकारियों ने बताया कि विजय माल्या की कई कंपनियों के खिलाफ पहले से ही जांच जारी है. अधिकारियों की मानें तो कई अन्य एजेंसियां भी केस की जांच कर रही हैं अगर पैराडाइज पेपर्स मामले में कोई नई जानकारी सामने आती है तो उसे भी जांच में शामिल किया जाएगा. सेबी अधिकारियों ने अधिकार क्षेत्र की बात कहते हुए बताया कि किसी भी टैक्स हैवन (जहां टैक्स नहीं वसूला जाता या आसान टैक्स सिस्टम होता है) देश में सिर्फ कंपनी खोलना कोई अपराध नहीं है लेकिन कंपनी के बारे में छुपाना या फिर उनके जरिए भारत से फंड बाहर भेजना गैरकानूनी है.
सेबी अधिकारियों ने आगे बताया कि इस केस में दूसरी नियामक संस्थाओं और एजेंसियों की मदद ली जाएगी. पैराडाइज पेपर्स में शामिल कंपनियों से उनसे जुड़ी विदेशी कंपनियों के बारे में जानकारी मांगी जाएगी. कंपनियों के सारे टैक्स संबंधी दस्तावेज बारीकी से खंगाले जाएंगे. विदेशी कंपनियों की जानकारी से उनको मिलाया जाएगा. फिलहाल सेबी जल्द इस केस की जांच शुरू करेगा.
क्या है मामला
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि भारत की कई नामी शख्सियतों ने टैक्स बचाने के लिए हैवन देशों में निवेश किया है. इस काम में इंटरनेशनल लॉ फर्म्स उनकी मदद करती हैं. सिंगापुर की एशियासिटी ट्रस्ट और बरमूडा की एपलबाई दो ऐसी ही लॉ फर्म्स हैं, जिनके लीक दस्तावेज ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया में तहलका मचा रखा है. इन दस्तावेजों को ही पैराडाइज पेपर्स का नाम दिया गया है. इसमें भारत की कई नामी शख्सियतों और कंपनियों का भी जिक्र है.
नामों की संख्या के हिसाब से इन देशों में भारत का 19वां स्थान है. इन दस्तावेजों को लीक कराने में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) की भूमिका अहम है. दरअसल जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को एपलबाई और एशियासिटी ट्रस्ट और टैक्स चोरी करने वालों का स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में कराई गई कॉरपोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब 1.34 करोड़ डॉक्यूमेंट्स मिले थे. जर्मन अखबार ने ये डॉक्यूमेंट्स ICIJ के साथ साझा किए. ICIJ ने अपनी वेबसाइट पर भी दस्तावेजों की जांच के बाद सामने आए तमाम नामों की लिस्ट जारी की है, जिसे आप www.icij.org पर भी देख सकते हैं. पत्रकारों की इसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने पनामा पेपर्स को भी उजागर किया था.

 

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