पीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया को नसीहत, कहा- ना करें स्वतंत्रता का दुरुपयोग, ये अपराध है

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा है कि संपादकीय स्वतंत्रता जनहित के लिए इस्तेमाल की जानी चाहिए. पीएम ने ये भी कहा कि लिखने की आजादी में तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि संपादकीय स्वतंत्रता का इस्तेमाल जनता के हित में सही तरीके से किया जाना चाहिए. बतौर पीएम- महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रेस को चौथा खंबा कहा जाता है. जरूर ये ताकत है लेकिन इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करना अपराध है. हल्के फुल्के अंदाज में पीएम मोदी ने कहा कि मैं अक्सर लोगों को ये सोचता हुआ पाता हूं कि दुनियाभर से आ रही इतनी सारी खबरें हर रोज अखबार में फिट कैसे हो जाती हैं?
पीएम ने कहा कि आजादी के समय ब्रिटिश सरकार वर्नाकुलर प्रेस से खौफ खाती थी. यह स्थानीय समाचार पत्रों का जिक्र करता था. 1878 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट लागू किया गया था. पीएम ने कहा कि क्षेत्रिय भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों की भूमिका आज भी उनती ही महत्वपूर्ण हैं जितनी कल थी. बतौर पीएम आज के दौर में अखबार सिर्फ खबर ही नहीं देते बल्कि हमारी सोच को भी प्रभावित करते हैं और दुनिया की तरफ देखने के लिए खिड़की खोलते हैं. व्यापक संदर्भ में मीडिया समाज को बदलने का माध्यम है. यही कारण है कि हम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया को परिभाषित करते हैं. मीडिया के स्वामित्व पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि चाहे आज मीडिया घराने निजी मालिकों के हाथ में हों लेकिन ये जनता के हितों के लिए काम करता है, जैसा कि एक स्कॉलर ने कहा है कि मीडिया ताकत से नहीं बल्कि शांति से बदलाव लाने का माध्यम है. इसकी सामाजिक जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार और न्यायपालिका और चुनी हुई सरकार से कहीं ज्यादा है.
पीएम ने आगे कहा कि आज हर नागरिक उसक पास पहुंच रही खबर को विभिन्न-विभिन्न सूत्रों के जरिए वेरिफाई करने की कोशिश करता है इसलिए मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए और प्रयास करने चाहिए. विश्वसनीय मीडिया मंचों पर खबरों को लेकर स्वास्थ्य प्रतिस्पर्धा लोकतंत्र के लिए अच्छी है. उन्होंने ये भी कहा कि आज के दौर में मीडिया सिर्फ राजनीति पर ध्यान केंद्रित करती है जबकि दूसरे मुद्दों के इतना तवज्जो नहीं देती है. पीएम ने कहा ‘ आज के दौर में कई मीडिया सिर्फ राजनीति के ईर्द-दिर्ग नजर आती है जबकि भारत राजनीति से कहीं ज्यादा है. यहां के 125 करोड़ लोग भारत हैं और मुझे खुशी होगी अगर मीडिया उनकी तरफ फोकस करता है. उनकी कहानियां और उपलब्धियां बताता है.
जलवायू परिवर्तन के मुद्दे पर पीएम ने कहा कि क्या मीडिया जलवायू परिवर्तन की लड़ाई का नेतृत्व कर सकता है? उन्होंने कहा कि क्या मीडिया थोड़ा सा समय ये दिखाने के लिए दे सकता है कि तेजी से हो रहे जलवायू परिवर्तन को रोकने के लिए क्या कर सकता है?

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