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पैराडाइज पेपर्स खुलासा: पनामा पेपर्स के बाद पैराडाइज पेपर्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम !

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने जर्मनी के अखबार सूडेयूटस्चे जीतियांग और इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट यानी (ICIJ) के साथ मिलकर बड़ा खुलासा किया है.

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  • November 6, 2017 4:04 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. बॉलीवुड के शंहशाह अमिताभ बच्चन का नाम एक बार फिर से एक और विवाद से जुड़ता दिखा रहा है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने जर्मनी के अखबार सूडेयूटस्चे जीतियांग और इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट यानी (ICIJ) के साथ मिलकर बड़ा खुलासा किया है. इस खुलासे के अनुसार ‘पैराडाइज पेपर्स’ में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं. इन दस्तावेजों में ऐसी फर्जी कंपनियों के बारे में खुलासा किया गया है जिन्होंने दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोगों का पैसा विदेशों में भेजा है. चौंकाने वाली बात ये है पनामा पेपर्स के बाद पैराडाइज पेपर्स लीक में भी कथित तौर पर अमिताभ बच्चन का नाम सामने आया है. बता दें कि इस खुलासे से एक दिन पहले ही अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग लिखकर कहा था कि पनामा पेपर्स मामले पर हमसे प्रतिक्रिया मांगी गई, इन आरोपों का खंडन करने और नाम का गलत इस्तेमाल करने के कारण हमारी तरफ से दो बार जवाब दिया गया. मेरे जवाब को छापा भी गया लेकिन सवाल आज भी बरकरार है. उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमने इसमें पूरा सहयोग किया और अगर आगे भी जांच होगी तो हम पूरा सहयोग करेंगे. 
 
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे के अनुसार अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के 2000-02 में प्रसारित पहले संस्करण के बाद बरमूडा की एक डिजिटल मीडिया कंपनी के शेयरधारक बने थे. वहीं बरमूडा की कंपनी एप्पलबी के दस्तावेजों के अनुसार अमिताभ बच्चन और सिलिकॉन वैली के वेंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा जलवा मीडिया लिमिटेड के 19 जून 2002 को शेयरधारक बने थे. ये कंपनी बरमूडा में 20 जुलाई 2002 को बनाई गई थी और साल 2005 में इसे बंद कर दिया था. जलवा मीडिया शुरुआती डिजिटल मीडिया वेंचर में एक है. इसकी स्थापना चार भारतीय एंटरप्रेन्योर ने जनवरी 2000 में कैलिफोर्निया में की थी. 
 
क्या है पैराडाइज पेपर्स
जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में कराई गई कार्पोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज मिले. जर्मन अखबार ने ये दस्तावेज इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) के साथ साझा किया। इंडियन एक्सप्रेस आईसीआईजे का सदस्य हैं और उसने भारत से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों की पड़ताल की है
 
 
 

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