गोरखपुरः BRD मेडिकल कॉलेज में फिर पसरा मासूमों की मौत का मातम, 48 घंटे में 30 बच्चों की मौत
गोरखपुरः BRD मेडिकल कॉलेज में फिर पसरा मासूमों की मौत का मातम, 48 घंटे में 30 बच्चों की मौत
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर पिछले 48 घंटों के भीतर 30 बच्चों की मौत हो गई. बच्चों की मौत से शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. कम्युनिटी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर डीके श्रीवास्तव ने बताया कि जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें 15 बच्चे एक माह से कम उम्र के थे.
November 5, 2017 4:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
गोरखपुरः बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर पिछले 48 घंटों के भीतर 30 बच्चों की मौत हो गई. बच्चों की मौत से शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. कम्युनिटी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर डीके श्रीवास्तव ने बताया कि जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें 15 बच्चे एक माह से कम उम्र के थे. सभी बच्चों की मौत का कारण इंसेफलाइटिस बताया जा रहा है. अस्पताल प्रशासन अस्पताल में भर्ती अन्य बच्चों को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है. बता दें कि इसी अस्पताल में बीते अगस्त ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस घटना में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की बात सामने आई थी. इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है.
अगस्त में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से करीब 64 बच्चों की मौत हो गई थी. एक साथ इतने बच्चों की मौत से हर ओर हाहाकार मच गया था. इस मामले में यूपी सरकार को काफी विरोध झेलना पड़ा. आनन-फानन में सरकार ने जांच के आदेश दिए और प्राथमिक जांच के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश और डॉक्टर कफील को मासूमों की मौत का कसूरवार माना गया.
30 children died within 48 hours at Gorakhpur’s BRD Hospital says Professor Dr D.K. Srivastava, Head of the department of Community Medicine pic.twitter.com/bkQ0K3YiOY
वहीं इस संबंध में यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह जब मीडिया के सामने आए तो उनके एक बयान से यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई. सिंह ने कहा कि अगस्त में तो बच्चे मरते हैं. इसमें नई बात क्या है. सिंह ने आंकड़ें पेश करते हुए बताया कि अगस्त 2014 को 567 बच्चों की मौत हुई थी. अगस्त 2015 में 668 बच्चों की मौत हुई और अगस्त 2016 में 587 बच्चों ने दम तोड़ दिया.
बताते चलें कि इस बार प्रोफेसर डीके श्रीवास्तव ने स्वीकार किया कि सभी 30 बच्चों की मौत इंसेफलाइटिस की वजह से हुई है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में इंसेफलाइटिस का प्रकोप है. इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ असम, पश्चिम बंगाल और बिहार समेत 14 राज्य इंसेफलाइटिस नामक बीमारी से जूझ रहे हैं. यूपी के पूर्वांचल में इस बीमारी का काफी ज्यादा प्रभाव है. गौरतलब है कि यूपी के गोरखपुर, संत कबीरनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर और देवरिया समेत 12 जिले इससे प्रभावित हैं. अगस्त माह में हुई घटना के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था.