जब पंडित नेहरू और इंदिरा के रहते हुए भी पीएम का काम इन दो बड़े नेताओं में बांट दिया गया
चीन युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन नेहरू इस सदमे से नहीं उबर पाए. 6 जनवरी 1964 के दिन भुवनेश्वर के कांग्रेस अधिवेशन में अचानक नेहरू को पड़ा पैरालिसिस का अटैक, इंदिरा साथ में ही थीं, फौरन नेहरू को संभालकर दिल्ली भेजा गया.
November 5, 2017 7:32 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: चीन युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन नेहरू इस सदमे से नहीं उबर पाए. 6 जनवरी 1964 के दिन भुवनेश्वर के कांग्रेस अधिवेशन में अचानक नेहरू को पड़ा पैरालिसिस का अटैक, इंदिरा साथ में ही थीं, फौरन नेहरू को संभालकर दिल्ली भेजा गया. तब ताकतवर कांग्रेस प्रेसीडेंट कामराज ने पीएम का काम लाल बहादुर शास्त्री और टीटी कृष्णामचारी में बांट दिया. क्योंकि नेहरू कुछ दिनों के लिए बिलकुल का करने की स्थिति में नहीं थे. तब इंदिरा ने बिलकुल मां की तरह उनकी देखभाल की, विनोवा भावे मिलने आए तो उन्होंने उन्हें बांसुरी बचाने की सलाह दी, शायद तनाव से बचने के लिए.
अरस्तू ने भी कभी किसी को बांसुरी बजाने की सलाह दी थी. नेहरू ठीक तो हो गए, लेकिन काफी कमजोर हो गए. 22 मई को नेहरू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, पत्रकार सवाल करते थे और नेहरू देर तक सोचकर जवाब देते थे. तो एक पत्रकार ने पूछा कि आप अपनी लाइफ में ही क्यों नहीं अपने उत्तराधिकारी का फैसला कर जाते, लेकिन नेहरू ने जवाब दिया कि मेरी लाइफ इतनी जल्दी खत्म नहीं होने जा रही है.
उसके बाद इंदिरा उन्हें लेकर देहरादून चली गईं. पिता पुत्री का आखिरी फोटो 26 मई को वहीं खींचा गया, यानी मौत से ठीक एक दिन पहले. नेहरू चेयर पर बैठे हैं और साथ में हैं इंदिरा गांधी. इस तस्वीर में आप निराशा के बादल आप साफ देख सकते हैं. उसी शाम को वो दोनों दिल्ली लौट आए. 27 मई की सुबह अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और एक बजकर चालीस मिनट पर नेहरूजी इस दुनियां से विदा हो गए. अब इंदिरा बिलकुल अकेली थीं, दो बच्चों को पालने की जिम्मेदारी भी उनकी थी.
अगर आप देखना चाहते हैं नेहरू की आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की तस्वीर, साथ में इंदिरा के साथ खिंची उनकी आखिरी तस्वीर. तो देखिए ये वीडियो…