नई दिल्ली: चीन युद्ध के समय चीन पूरी तरह से तैयार था और भारत की तैयारी आधी अधूरी थी. रक्षा मंत्री वीके कृष्णा मेनन ने तो जो गलत कदम उठाए सो उठाए, एक गड़बड़ी नेहरू पर भी हो गई. नेहरू ने बीच जंग में ऑल इंडिया रेडियो पर एक भाषण दिया, जिससे ऐसा मैसेज आसाम में गया मानो भारत आसाम को हार चुका है. आसाम के लोग इससे काफी आहत हुए. आसाम में अलगाववादी सुर तेज हो गए. आसाम के तेजपुर में तो और भी बुरे हालात थे, लोगों को भाग्य के भरोसे छोड़कर वहां का डीएम ही भाग गया था. केन्द्र के स्तर पर अलग कन्फ्यूजन था.
केबिनेट की मीटिंग हुई तो किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए. तब इंदिरा ने तय किया कि लोगों में भरोसा जगाने और दिल जीतने के लिए वो तेजपुर जाएंगी. नेहरू घबरा गए, उन्हें लगा कि चीनी सैनिक इंदिरा को बंधक बना कर उन्हें ब्लैकमेल कर सकते हैं. आर्मी चीफ ने भी उन्हें मना किया, लेकिन इंदिरा नहीं मानी. शायद ये उस नेता की दूरदर्शिता थी, जो भयानक हालात में भी अपने लोगों में भरोसा जगाए रखने के लिए हर रिस्क लेने को तैयार थी.
इंदिरा नेहरूजी को नाराज करके एयरक्राफ्ट के जरिए पहले गोवाटी पहुंचीं, फिर वहां से हैलीकॉप्टर लेकर तेजपुर. उनके पहुंचते ही तेजपुर की जनता ने उन्हें घेर लिया और वहां से बचाकर निकालने की गुहार करने लगे. तेजपुर आसाम का गेटवे था, खतरे का अंदाजा आप इस बात से लगाइए कि जहां इंदिरा का हैलीकॉप्टर उतरा था, उस जगह से बस तीस किलोमीटर दूर पर चीन की सेना का डेरा था. उनके मुंह पर ही लोग उनके पिता पंडित नेहरू को गालियां दे रहे थे, लेकिन इंदिरा ने काफी धीरज दिखाया और सुनती रहीं, समझाती रहीं. उस वक्त तेजपुर में प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं बचा था, कुछ एनजीओ थे जिनके पास थोडा खाना था. इंदिरा ने उन्हें वायदा किया कि जब तक आपकी समस्या हल नहीं हो जाती, मैं यहां से नहीं जाऊंगी. फिर इंदिरा ने तेजपुर के लोगों के लिए क्या किया और कब लौटीं इंदिरा वापस, जानने के लिए देखिए ये वीडियो
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