नई दिल्ली: फिरोज गांधी का रोमांटिक पक्ष चाहे वो इंदिरा गांधी को लेकर हो या उनके तथाकथित बाकी रिश्तों को लेकर लेकिन एक दूसरा और पक्ष था, जिसके बारे में आज कांग्रेस भी बात करना पसंद नहीं करती और ना ही गांधी परिवार. ये पक्ष था फिरोज गांधी का करप्शन के खिलाफ कैम्पेन. फिरोज ने तीन ऐसे मुद्दे उठाए कि लोग आज भी याद करते हैं, लेकिन अपनी ही सरकार के खिलाफ मुद्दे उठाने से नेहरू औऱ इंदिरा दोनों नाराज हो गए. यहां तक कि नेहरू के वित्त मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा. दो साल संसद की कार्यवाही समझने के बाद एक्शन में आ गए फीरोज और इंश्योरेंस कम्पनियों के गोलमाल के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया, संसद को इन्क्वायरी कमीशन बैठाना पड़ा.
इंडस्ट्रियलिस्ट रामकृष्ण डालमियां को गिरफ्तार कर दो साल की सजा भी हुई. इतना ही नहीं उसके बाद फीरोज ने जो मुद्दा उठाया, वो आज देश का पहला कॉरपोरेट फाइनेंशियल स्कैम के नाम से जाना जाता है, जिसके चलते नेहरू के फाइनेंस मिनिस्टर टीटी कृष्णामचारी को भी इस्तीफा देना पड़ गया, ये कहलाया मूंदड़ा स्कैम. जिसमें छोटे व्यापारियों, शेयर मार्केट के कर्मचारियों औऱ फाइनेंस मिनिस्ट्री के लोगों के साथ मिलकर वो लोग घपला करते थे. नेहरू के फाइनेंस मिनिस्टर का इस्तीफा होने से नेहरू की काफी किरकिरी हुई और इंदिरा भी फीरोज से नाराज हो गईं. इतना ही नहीं फिरोज का अगला निशाना बने एम ओ मथाई, नेहरू के पर्सनल असिस्टेंट एमओ मथाई पर. ताकत के बेजा इस्तेमाल और जासूसी के आरोपों में मथाई को भी इस्तीफा देना पड़ा, इंदिरा इस बात से काफी खफा हो गईं. मथाई ने इंदिरा का ड्राइविंग सिखाने जैसे कई दावे किए हैं. इस बारे में लोगों के अलग अलग बयान हैं. मथाई के इस्तीफे को लेकर फीरोज की कुछ पर्सनल भी वजह बताई जाती है, जानने कि लिए देखिए ये वीडियो