क्यों छोड़ा प्रेग्नेंट इंदिरा ने फिरोज का घर और चलीं आई पापा नेहरू के पास दिल्ली
फिरोज और इंदिरा के बीच दरार कैसे पड़ीं? इसकी कोई सीधी एक वजह नहीं है. जाहिर है फिरोज लगातार इंदिरा को लुभाने की कोशिशें कर रहे थे, महीनों नहीं बल्कि सालों उन्होंने कोशिश की. जहां-जहां इंदिरा जाती थीं, वो पहुंचने की कोशिश करते थे.
November 4, 2017 1:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. फिरोज और इंदिरा के बीच दरार कैसे पड़ीं? इसकी कोई सीधी एक वजह नहीं है. जाहिर है फिरोज लगातार इंदिरा को लुभाने की कोशिशें कर रहे थे, महीनों नहीं बल्कि सालों उन्होंने कोशिश की. जहां-जहां इंदिरा जाती थीं, वो पहुंचने की कोशिश करते थे. चाहे वो स्विटरलेंड हो या फिर लंदन. इंदिरा की मां की भी काफी मदद की फिरोज ने, मां की मौत से लगभग बिखर चुकीं इंदिरा भी फिरोज का ये समर्पण देखकर झुक ही गईं. जिद करके शादी की फिर भी शादी के चार साल बाद ही छोड़ दिया फिरोज का इलाहाबाद वाला घर और चलीं गई दिल्ली पापा नेहरू के पास.
इंदिरा का रुझान शुरू से ही अपने पिता नेहरू और राजनीति में उनके कार्यों की तरफ ज्यादा था. मां के बिना अकेले पिता का ख्याल भी उनको था. तभी तो इंदिरा शादी के ठीक बाद हनीमून नहीं गईं, बल्कि शादी के दो महीने बाद ही पिता नेहरू के साथ छुट्टियां मनाने मनालीं चली गईं. कई दिन पिता बेटी ने एक साथ गुजारे, शादी के बाद इंदिरा की सोच क्या थी, ये नेहरू ने जानीं. उसके बाद नेहरू तो इलाहाबाद वापस लौटे लेकिन इंदिरा लाहौर चलीं गईं, वहां फिरोज मिले और लाहौर से दोनों कश्मीर के लिए निकल गए हनीमून के लिए. हनीमून दो महीने का था, नेहरू के मित्र शेख अब्दुल्ला ने उनके कश्मीर दौरे का पूरा इंतजाम किया.
शादी के बाद वो ज्यादा समय भी नहीं दे पाए, भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो गया. रीब 8 महीने इंदिरा जेल में रहीं और फीरोज से दस महीने बाद मुलाकात हुई. पुलिस ने घर का सारा सामान जब्त कर लिया तो फिर से आनंद भवन शिफ्ट हो गईं. इधर नेहरू को लग रहा था कि वो पीएम बनने वाले हैं, देश आजाद होने वाला है, तो दिल्ली में अपने घर को सजाने संवारने के लिए नेहरू ने इंदिरा को दिल्ली आकर रहने को कहा. फीरोज से भी पूछा गया तो फिरोज ने भी कोई ऐतराज नहीं किया, हालांकि बाद में इंदिरा का बयान आया कि फीरोज तो यही चाहते थे कि मैं दिल्ली चली जाऊं क्योंकि तब फिरोज किसी और लड़की के बारे में सोच रहे थे. कोई इसे नेशनल हेराल्ड अखबार में काम करने वाली कोई सहयोगी बताता है तो कोई लखनऊ के एक बड़े मुस्लिम परिवार की महिला. इंदिरा दिल्ली आ गईं, और फिरोज लखनऊ, नेशनल हेराल्ड को संभालने. हालांकि बीच-बीच में दोनों मिलते रहे, इसी बीच संजय 1946 में पैदा हुए, लेकिन एक साथ रहने का मौका मिला 6 साल बाद जब 1952 में फीरोज गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से चुनकर संसद में आए.
फीरोज को अपने नेहरूजी के घर के लॉन में टैंट में क्यों गुजारनी पड़ी रात, जानने कि लिए देखिए ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ.