नई दिल्ली. मंदिरों में ईश्वर के सामने सिर झुकाने के बाद हर जो पहला काम करीब-करीब हर एक शख्स करता है वह है, चढ़ावा चढ़ाना, या दान देना. यहां अपनी-अपनी हैसियत के हिसाब से हर कोई मंदिरों में भगवान को चढ़ावा चढ़ाता है.
कोई 5-10 रुपए चढ़ाता है तो कोई लाखों का सोने चांदी चढ़ाता है, लेकिन भगवान के नाम पर जेब से पैसे निकालने के बाद शायद ही कोई कभी सोचता होगा कि उसके चढ़ाए गए पैसे का क्या होगा? इस पर स्वामी अग्निवेश ने सवाल खड़े किए हैं कि मंदिरों में दान के तौर पर दी जाने वाले पैसों का गलत इस्तेमाल होता है.
ऐसे में ये सवाल अब बड़ा हो गया है कि दान में आया ये अकूत खजाना आखिर जाता कहां हैं ? कहीं इसका गलत इस्तेमाल तो नहीं हो रहा ?
वीडियो पर क्लिक करके देखिए पूरी बहस: