November 4, 2017 2:41 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार एक बार फिर से हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर आमने-सामने आ गई है. सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने IB की विपरीत रिपोर्ट के बावजूद तीन उम्मीदवारों को हाईकोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश की. तीन वरिष्ठ जजों CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस रंजन गोगोई के कॉलेजियम ने कहा, कि किसी भी उम्मीदवार की जज के तौर नियुक्ति के लिए उनकी पेशेवर क्षमता के आंकलन के लिए न्यायपालिका ही बेहतर ना कि इंटेलीजेंस ब्यूरो.
कॉलेजियम ने कहा, क्योंकि उच्च न्यायपालिका के सदस्य उनकी परफोरमेंस को रोजाना देखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राजेश कुमार, अनुभा रावत चौधरी और कैलाश प्रसाद देव को झारखंड हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश की. कालेजियम ने IB की रिपोर्ट में कही गई ये बात कि उनकी अखंडता और पेशेवर क्षमता पर सवाल हैं लेकिन ऑन रिकार्ड कुछ उपलब्ध नहीं है, पर ये निर्णय लिया. हालांकि चौथे उम्मीदवार को सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही खारिज कर दिया. इनके लिए झारखंड हाईकोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर झारखंड के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने सहमति दी थी.
इससे पहले 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने वकील आरपी लूथरा द्वारा दाखिल इस याचिका पर 14 नवंबर को अगली सुनवाई के दौरान AG केके वेणुगोपाल को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है.
वरिष्ठ वकील के वी विश्वनाथन को एमिक्स क्यूरी बनाया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो हाईकोर्ट की इस बात से सहमत है कि MOP ना होने की वजह से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को चुनौती देने में कोई आधार नहीं है. हालांकि कोर्ट ये जरूर देखेगा कि जनहित में MOP को तैयार होने में और देरी ना हो. कोर्ट ने कहा कि हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कोई समय सीमा नहीं दी थी लेकिन MOP को अनिश्चितकाल के लिए लटकाए नहीं रखा जा सकता है. ये आदेश 16 दिसंबर 2015 के थे और पहले ही एक साल 10 महीने बीत चुके हैं.