गुरुग्राम आरटीआई खुलासा: गुड़गांव में चल रहे 224 नर्सिंग होम और क्लिनिक अवैध
एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि गुरुग्राम में जिला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत कुल 224 अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक चल रहे हैं. ये खबर उस वक्त आई है जब रियल स्टेट का हब कहे जाना वाला गुरुग्राम हाल ही में अवैध सेक्स निर्धारण और गर्भपात के मामले में सुर्खियों में बना रहा है.
November 3, 2017 11:44 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. मिनेनियम सिटी कहे जाने वाले गुरुग्राम में नर्सिंग होम और क्लिनिक्स का बड़ा गोरखधंधा सामने आया है. एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि गुरुग्राम में जिला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत कुल 224 अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक चल रहे हैं. ये खबर उस वक्त आई है जब रियल स्टेट का हब कहे जाना वाला गुरुग्राम हाल ही में अवैध सेक्स निर्धारण और गर्भपात के मामले में सुर्खियों में बना रहा है.
गुरुग्राम में सक्रिय रूप से चलने वाले अवैध क्लिनिक्स और नर्सिंग होम्स में 23 पटौदी में, एक भंगरोला, 18 भोडाकाला, 15 सोहना, 54 फारुखनगर, 48 हरसारू, 26 गंगोला और 39 बादशाहपुर में संचालित होते हैं. ये सभी जानकारी सूचना के अधिकार के माध्यम से हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन ऑफिसर ने दी है.
गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन बी के रजौड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री के सामने इनके खिलाफ शिकायत की गई थी, मगर अब तक किसी तरह की कार्रवाई नही हुई है. हम उनके खिलाफ किसी तरह का एक्शन नहीं ले सकते. क्योंकि यहां हरियाणा नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट नहीं है.
सोहना के बहाल्पा गांव के निवासी महेंद्र कुमार ने 10 अक्टूबर को सिविल सर्जन कार्यालय में सूचना का अधिकार के तहत याचिका दाखिल की थी और गुरुग्राम में चल रहे अवैध नर्सिंग होम्स और क्लिनिक्स के साथ-साथ फेक डॉक्टर्स के बारे में जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में सिविल सर्जन कार्यालय ने 23 अक्टूबर को सारी जानकारी उपलब्ध करा दी. इसके तहत गुरुग्राम में 224 अवैध क्लिनिक्स और नर्सिंग होम्स चल रहे हैं, जो जिले के सीएचसी के अंतर्गत संचालित हो रहे हैं.
आरटीआई में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि इन नर्सिंग होम्स और अवैध क्लिनिक्स मं करीब 141 से अधिक फर्जी डॉक्टर भी हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि ये फर्जी डॉक्टर्स न तो क्वालिफाइड हैं और न ही किसी के पास मेडिकल डिग्री या सर्टिफिकेट्स हैं. आरटीआई के अनुसार, इनमें से अधिक सिर्फ कपाउंडर हैं.