सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – डीम्ड यूनिवर्सिटियों के नाम से एक महीने में यूनिवर्सिटी शब्द हटाओ

सुप्रीम कोर्ट ने सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों को अगले अकादमी सत्र से बिना संबंधित अथॉरिटी (यूजीसी, एआईसीटीई, डीइसी) से अनुमति के दूरस्थ शिक्षा के जरिए किसी भी कोर्स को चलाने पर रोक लगा दी है. अब डीम्ड विश्वविद्यालयों को हर कोर्स के लिए अलग-अलग अनुमति लेनी होगी

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – डीम्ड यूनिवर्सिटियों के नाम से एक महीने में यूनिवर्सिटी शब्द हटाओ

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  • November 3, 2017 8:45 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों को अगले अकादमी सत्र से बिना संबंधित अथॉरिटी (यूजीसी, एआईसीटीई, डीइसी) से अनुमति के दूरस्थ शिक्षा के जरिए किसी भी कोर्स को चलाने पर रोक लगा दी है. अब डीम्ड विश्वविद्यालयों को हर कोर्स के लिए अलग-अलग अनुमति लेनी होगी. कोर्ट ने एक महीने के भीतर डीम्ड यूनिवर्सिटी से ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द हटाने के आदेश भी दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था देते हुए देश के चार डीम्ड यूनिवर्सिटी में 2001-2005 सत्र के बाद से दूरस्थ शिक्षा के जरिए हजारों छात्रों को मिली इंजीनियरिंग की डिग्री को रद्द कर दिया है. 
 
ये हैं चार डीम्ड विश्वविद्यालय 
1. इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, जेआरएन 
2. राजस्थान विद्यापीठ (उदयपुर), 
3. इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज (राजस्थान) 
4. विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन(तमिलनाडु) हैं. 
 
इन चारों डीम्ड विश्वविद्यालयों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए संबंधित अथॉरिटी से अनुमति नहीं ली थी. हालांकि वर्ष 2001 से 2005 के बीच इन चारों विश्वविद्यालयों से डिग्री हासिल करने वाले को रियायत दी है क्योंकि इन्हें कुछ अधिकारियों ने नीतियों का उल्लंघन करते हुए कोर्स चलाने की इजाजत दी थी. इन छात्रों को अपनी डिग्री बचाने के लिए एआईसीटीई की परीक्षा में बैठना होगा. परीक्षा में सफल होने पर उनकी डिग्री बच सकती है. विश्वविद्यालयों को इन सभी छात्रों को वसूली  गई फीस व अन्य खर्च लौटाने होंगे.  कोर्ट ने इन डीम्ड यूनिवर्सिटी को इंजीनियरिंग कोर्स चलाने की अनुमति देने में अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने केलिए सीबीआई जांच केआदेश दिए हैं.
 
साथ ही पीठ ने नामचीन लोगों की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है. कमेटी डीम्ड विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा को मजबूत करने और इसके लिए रेग्यूलेशन तय करने को लेकर रोडमैप तैयार करेगी. ये नामचीन सदस्य शिक्षा, जांच, प्रशासन या कानून के क्षेत्र से होंगे. कमेटी का गठन एक महीने के भीतर करने का निर्देश दिया गया है और गठन केछह महीने केबाद कमेटी को रोडमैप तैयार करने केलिए कहा गया है. केंद्र सरकार उस रिपोर्ट पर गौर करेगी और 31 अगस्त, 2018 से पहले हलफनामे के जरिए अदालत को कार्रवाई रिपोर्ट सौंपेगी
 

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