नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में कल यानी शुक्रवार का दिन काफी अहम होने वाला है. आधार के मामले पर कल सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाओँ पर सुनवाई है. शुक्रवार को आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका और बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनावाई करेगा.
पहले मामले में बैंक अकाउंट को आधार से अनिवार्य रूप से लिंक करने के खिलाफ दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. दरअसल रिजर्व बैंक ने साफ किया था कि बैंक अकाउंट्स को आधार कार्ड से लिंक करना प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत अनिवार्य है. आरबीआई के इस फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका कल्याणी मेनन सेन ने दायर की है. वह अपने आपको नारीवादी बताती हैं जो बीते 25 साल से महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही हैं. कल्याणी ने 23 मार्च को टेलिकॉम डिपार्टमेंट द्वारा जारी उस सर्कुलर को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि सभी नागरिकों को अपने मोबाइल नंबरों को भी आधार से लिंक करवाना होगा. उनका कहना है कि दोनों ही फैसलों से लोगों की निजता का हनन होता है इसलिए ये असंवैधानिक हैं.
सेन ने अपनी याचिका वकील विपिन नायर के जरिए दाखिल की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत नियमों में संशोधन करके बैंक खातों के साथ आधार को जोड़ने का फैसला उस वादे का उल्लंघन है जिसमें कहा गया था कि बायॉमीट्रिक्स का हिस्सा बनना स्वैच्छिक होगा.
वहीं दूसरे मामले में आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. यह मामला जस्टिस जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने आया और याचिकाकर्ता के वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के लिए पहले से सूचीबद्ध हैं.
कर्नाटक के मैथ्यू थॉमस ने आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और बायोमेट्रिक प्रणाली ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है. इससे पहले सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं और कई अन्य सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के केंद्र के कदम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है. हाल में सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है.
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