इंदिरा गांधी के नास्तिक दादा की डैथ बैड पर गायत्री मंत्र पढ़ने की कहानी

इंदिरा गांधी के दादा मोतीलाल नेहरू आमतौर पर नास्तिक प्रकृति के इंगलिशदां थे. कभी लोगों ने उन्हें पूजा पाठ आदि में शामिल होते नहीं देखा था. लेकिन आखिरी वक्त में जब वो अचानक से धार्मिक हो गए तो परिवार का चौंकना लाजिमी था, वो भी महीनों या सालों पहले नहीं बल्कि मौत से कुछ ही दिन पहले. वो अचानक से बार-बार गायत्री मंत्र दोहराने लगे.

Advertisement
इंदिरा गांधी के नास्तिक दादा की डैथ बैड पर गायत्री मंत्र पढ़ने की कहानी

Aanchal Pandey

  • November 2, 2017 2:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: इंदिरा गांधी के दादा मोतीलाल नेहरू आमतौर पर नास्तिक प्रकृति के इंगलिशदां थे. कभी लोगों ने उन्हें पूजा पाठ आदि में शामिल होते नहीं देखा था. लेकिन आखिरी वक्त में जब वो अचानक से धार्मिक हो गए तो परिवार का चौंकना लाजिमी था, वो भी महीनों या सालों पहले नहीं बल्कि मौत से कुछ ही दिन पहले. वो अचानक से बार-बार गायत्री मंत्र दोहराने लगे. जब उनको जवाहर ने लगातार गायत्री मंत्र दोहराते देखा तो चौंक गए, मोतीलाल नेहरू भी समझ गए कि जवाहर क्या सोच रहे हैं. तब मोतीलाल नेहरू ने उन्हें बताया कि पिता बचपन में इसे हमें रोज पढ़वाते थे, सो मैं कभी भूला नहीं था. हालांकि उन्होंने इस बात को नहीं बताया कि याद था तो पहले कभी क्यों नहीं पढ़ा. उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि जवाहर या परिवार के दोस्त उनसे इस बारे में कोई सवाल भी नहीं कर सकते थे.
 

सो उनके साथ बाकी लोग भी उन अंतिम पलों में गायत्री मंत्र दोहराते रहते थे. उन दिनों में जब गांधीजी मोतीलाल को देखने आए तो मोतीलाल ने उनसे कहा कि “अगर हम एक ही दिन मरते हैं, तो मैं आपसे पहले स्वर्ग पहुंचूंगा और जब मोतीलाल नेहरू ने गांधीजी को ये बताया कि वो कैसे एक ही दिन मरकर उनसे पहले स्वर्ग पहुंच जाएंगे तो गांधीजी समेत कमरे में मौजूद बाकी लोग भी मुस्कराए बिना रह नहीं सके. क्या था मोतीलाल नेहरू का जवाब, जानने के लिए देखिए ये वीडियो
 

 

Tags

Advertisement