नई दिल्ली: कमला के प्रति जवाहर लाल नेहरू की बेरुखी के पीछे जहां उनकी दूरियां थीं, दोनों के वैचारिक मतभेद थे, जवाहर के घरवालों का व्यवहार था तो नेहरू के रिश्तों की अफवाहें भी थीं. कमला के रहते तो पता नहीं लेकिन कमला की मौत के बाद के 11 महीनों में नेहरू ने सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू को लिखे 28 लैटर्स तो काफी चर्चा में रहे. 36 साल की पद्मजा नायडू को इन खतों में जवाहर 18 साल की लिखा करते थे, एक जगह तो नेहरू ने साफ-साफ लिखा भी था कि- ‘’Will I ever know how much you love me? No I shall not nor will you..’’
इंदिरा को भी इन रिश्तों के बारे में पता चल ही गया था, कुछ लोग बताते हैं कि ये बड़ी वजह थी कि इंदिरा ने 1946 में इलाहाबाद छोड़ दिया और अपने पिता के साथ दिल्ली रहने चली आईं अपने दोनों बच्चों को लेकर. उस वक्त पीएम आवास तीन मूर्ति आवास को नेहरू के लिए इंदिरा ने ही तैयार करवाया था. उसी कॉम्पलेक्स में पद्मजा भी रही थीं. एक बार जब इंदिरा पीएम बनीं और 1, सफदरजंग रोड से अपना घर तीन मूर्ति हाउस शिफ्ट करना चाहा तो पद्मजा के खासे ऐतराज के बाद ही अपना इरादा बदला.
पद्मजा से नेहरू के रिश्तों के बारे में इंदिरा की दोस्त पुपुल जयकर ने भी इंदिरा की जीवनी में लिखा है, वो भी राजीव गांधी से इजाजत लेकर. पुपुल ने जब इस जीवनी को लिखने से पहले पद्मजा के साथ पंडित नेहरू के रिश्तों के बारे में उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित से बात की तो उनकी फौरी प्रतिक्रिया थी, क्या तुमको नहीं पता? वो तो सालों साथ रहे थे…सालों. लेकिन इंदिरा ने पद्मजा के साथ रिश्तों को काफी करीने से संभाल कर रखा, नेहरू ने पद्मजा को पश्चिम बंगाल का गर्वनर बना दिया था.
एक बार इंदिरा गांधी ने नेहरू के पीएम काल में जब कांग्रेस की प्रेसीडेंटशिप संभाली तो छोडने की एक वजह उनकी किडनी में स्टोन की वजह से हो रही परेशानी भी थी. इंदिरा ने मुंबई में उसका ऑपरेशन करवाया, तो पदमजा ने उस स्टोन को नाम दिया था ज्वैल इन लोटस या जूल्स. पदमजा ने जब इंदिरा को राष्ट्रपति भवन परिसर में पीएम हाउस के लिए दो आवास लेने को कहा तो क्या था इंदिरा का जवाब? जानने के लिए देखिए ये वीडियो