दिल्ली सरकार VS उपराज्यपाल: AAP सरकार की दलीलें और SC की टिप्पणियां, बहस की 20 बड़ी बातें

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में अपनी दलील दी जो मंगलवार को भी जारी रहेगी.

Advertisement
दिल्ली सरकार VS उपराज्यपाल: AAP सरकार की दलीलें और SC की टिप्पणियां, बहस की 20 बड़ी बातें

Admin

  • November 2, 2017 1:47 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच चल रही रस्साकशी को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि कानून के मुताबिक उपराज्यपाल ही दिल्ली के बॉस हैं. दरअसल दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में आई और सीएम अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनें. धीरे-धीरे दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद की खबरें आती रहीं. अरविंद केजरीवाल लगातार ये आरोप लगाते रहे कि नजीब जंग उन्हें काम नहीं करने दे रहे और और उन्हें काम करने से रोक रहे हैं. कई मौकों पर दोनों के बीच सीधा टकराव भी हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. अरविंद केजरीवाल अपनी रैलियों या पब्लिक मीटिंगों में तत्कालीन एलजी के हवाले से पीएम मोदी पर निशाना लगाते रहे. नजीब जंग के जाने के बाद दिल्ली के नए एलजी बनें अनिल बैजल और अब दिल्ली सरकार का उपराज्यपाल अनिल बैजल से भी विवाद चल रहा है. इस मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट में ये दलीलें दी गई.
 
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामला: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की दलील की 10 बड़ी बातें
1. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 239AA के तहत दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है. 239 AA में दर्जा दिया गया है उसकी व्याख्या करनी चाहिए.
 
2. दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वक़ील गोपाल सुबरमान्यम ने कहा कि 239AA के मुताबिक सरकार का मतलब क्या है. दरअसल ये कहता है कि एक चुनी हुई सरकार जो जनता के लिए जवाबदेह हो.
 
3. 239AA के तहत दिल्ली में मुख्यमंत्री, मंत्रियों का समूह और विधानसभा को बनाया गया. गोपाल सुबरमान्यम ने ये भी कहा कि दिल्ली की विधायिका दूसरे राज्यों की विधायिका के तरह है.
 
4. 239AA के तहत अगर मंत्रियों के समूह द्वारा लिए गए निर्णय से अगर LG सहमत नही होते तो फिर मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. जिसका मतलब हर बात के लिए LG से अनुमति लेना होगा। ऐसे में LG के पास पूरा कंट्रोल आ जाता है. जबकि चुनी हुई सरकार का भी जनता के प्रति जवाबदेही है.
 
6. हम इस बात से सहमत हैं दिल्ली राज्य नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश है,1991 में एक्ट के जरिए इसे स्पेशल स्टेटस दिया गया. इसके दिल्ली की अपनी चुनी हुई सरकार होगी. 239 AA के तहत उपराज्यपाल को कोई भी फैसला लेने से पहले दिल्ली की सरकार की सहमति लेनी होगी.
 
7. 239 AA से पहले संसद दिल्ली के लिए कानून बनाती थी लेकिन इसके लागू होने के बाद भी अगर केंद्र के पास ये अधिकार रहेगा तो इसका मतलब है कि पहले के कानून की छाया अभी भी बरकरार है.
 
8. क्या उपराज्यपाल जो चाहे वो कर सकते हैं, क्या वो बिना मंत्री के अफसरों से मीटिंग कर सकते हैं।एक के बाद एक कल्याणकारी योजनाओं की फाइलें उपराज्यपाल के पास भेजी गई है लेकिन वो एक साल से ज्यादा से फाइलों को क्लियर नहीं कर रहे हैं.
 
9. मंत्रियों को काम कराने के लिए अफसरों के पैर पडना पडता है. सारे प्रस्ताव चीफ सेकेट्री के पास जाते हैं और वो कहते हैं कि उपराज्यपाल से कोई निर्देश नहीं मिले हैं. 
 
10. संवैधानिक प्रावधानों को सौहार्दपूर्ण तरीके से बनाया जाना चाहिए. चुनी हुई सरकार की भी गरिमा बनी रहनी चाहिए। उपराज्यपाल इस तरह कार्यपालिका के आदेश  की फाइलों पर बैठे नहीं रह सकते. उन्हें वाजिब वक्त में कारण सहित अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए. केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के रोजाना कामकाज में दखल दे रही है.
 
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामला: दिल्ली सरकार की दलील पर सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी टिप्पणी
 
10.  प्रथम दृष्टया लगता है कि उपराज्यपाल को संविधान ने प्रमुखता दी है। दिल्ली सरकार के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी।
 
11. प्रथम दृष्टया लगता है कि उपराज्यपाल को संविधान ने प्रमुखता दी है. दिल्ली सरकार के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी.
 
12. बतौर केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली सरकार के अधिकारों की संविधान में व्याख्या की गई है और उसकी सीमाएं तय हैं. उपराज्यपाल के अधिकार भी चिन्हित किए गए हैं.
 
13. राष्ट्रपति उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली में प्रशासनिक कार्य करते हैं. दिल्ली सरकार को भी संविधान के दायरे में काम करना होगा क्योंकि भूमि, पुलिस और पब्लिक आर्डर पर उसका नियंत्रण नहीं है.
 
14. ऐसा लगता है दिल्ली सरकार कानून के दायरे में रहकर काम नहीं करना चाह रही. अगर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच कोई मतभेद होगा तो मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
 
15. जब तक कोर्ट के सामने विशेष तौर पर ये नहीं बताया जाएगा कि उपराज्यपाल कहां अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर काम कर रहे हैं तब तक कोर्ट के लिए मुद्दों का परीक्षण करना संभव नहीं
 
16. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति का प्रशासन चल रहा है.
 
17. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच मतों के टकराव को समझ रहे है लेकिन ये वाज़िब होना चाहिए. इसके लिए एक ठोस वजह होना चाहिए.
 
18. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी दिल्ली सरकार के वक़ील के उस बात पर की जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के फ़ैसले से सम्बंधित कई फ़ाइल उपराज्यपाल के पास लंबित है और काम नही हो पा रहा है.
 
19. वहीं पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि उपराज्यपाल को फाइलों पर कारण सहित जवाब देना चाहिए और ये वाजिब वक्त में होना चाहिए.
 
20. आप चुनी हुई सरकार है लेकिन मौजूदा कानूनी व्यस्था में कुछ नही कर पा रहे है.

Tags

Advertisement