नई दिल्ली: प्रधानमंत्री बनने के तीन हफ्ते के बाद जयपुर में एआईसीसी मीटिंग में जब इंदिरा फूड मिनिस्टर से मीटिंग के बाद तैयार हुआ नोट पढ़ रही थीं, अकाल से प्रभावित सीएम ने इंदिरा से कई सवाल आक्रोश में पूछे, इंदिरा कॉन्फीडेंस लूज कर गई, ढंग से बोल नहीं पाईं, कामराज ने दखल दिया तब लोग शांत हुए. तब अपनी बायोग्राफर को दिए इंटरव्यू में इंदिरा ने बताया कि ये सब उनकी बूआ की वजह से हुआ है, वो मुझे बचपन से ही अगली और स्टुपिड कहकर मेरा कॉन्फीडेंस डाउन करती रहती थीं. तब इंदिरा ने माना कि उनको संसद सैशन में जाने से डर लगता है, उनको किसी पर भरोसा नहीं था उन दिनों राम मनोहर लोहिया ने उन्हें गूंगी गुड़िया भी कहना शुरू कर दिया था.
बचपन से ही इंदिरा की अपनी बूआ विजय लक्ष्मी पंडित से कभी नहीं बनी. विजयलक्ष्मी बचपन से ही उन्हें ‘अगली और स्टूपिड’ बोलती थीं, जिससे इंदिरा को अपना कॉन्फीडेंस लूज होता लगता था. जब मोतीलाल नेहरू और कमला नेहरू की मौत हो गई और इंदिरा बाहर पढ़ रही थीं तो नेहरू ने विजयलक्ष्मी की शादी के बाद आनंद भवन को उन्हें देने का फैसला किया. केवल नेहरू का कमरा लॉक कर रखा गया, इंदिरा को ये काफी नागवार गुजरा कि जिस कमरे में उन्होंने अपनी जिंदगी के इतने कीमती साल गुजारे उसे स्टोर बना दिया जाएगा, लेकिन वो मन मसोस कर रह गईं.
कमला जब बीमार रहती थीं और नेहरू अक्सर जेल में तो इंदिरा को कमला के बारे में विजय लक्ष्मी और अपनी दादी की बहन बीवी अम्मा के कमेंट काफी खराब लगते थे, वो इस बारे में नेहरू को शिकायत भी लैटर्स में लिख कर करती थीं, लेकिन नेहरू इस बात को टाल जाते थे. नेहरू के पीएम बनने के बाद भी विजय लक्ष्मी का रवैया इंदिरा को समझ नहीं आता था.
जब नेहरू पहली बार बतौर पीएम अमेरिका यात्रा पर गए थे तो इंदिरा भी साथ थीं. उस वक्त विजय लक्ष्मी पंडित अमेरिका में भारत की राजदूत थीं. विजय लक्ष्मी ने सारे ऑफीशियल फंक्शंस में से इंदिरा का नाम हटा दिया, अब नेहरू फंक्शंस में और इंदिरा अकेले होटल में, वो तो मशहूर साइंटिस्ट डॉक्टर भाभा न्यूयॉर्क में थे, तो इंदिरा उनके साथ लंच डिनर पर जा जाकर बोर होने से बच गईं, लेकिन बूआ को लेकर उनका मन और मैला हो गया. अगर आप जानना चाहते हैं कि इंदिरा ने अपनी बूआ से कैसे लिया बदला तो देखिए ये वीडियो शो