इंदिरा गांधी के परदादा गंगाधर नेहरू को गयासुद्दीन गाजी क्यों कहते हैं कुछ लोग ?
जब भी आप नेहरू परिवार के बारे में आप सर्च करेंगे तो सैंकड़ों लेखों में इंदिरा के परदादा और मोतीलाल नेहरू के पिता का नाम गयासुद्दीन गाजी लिखा मिलेगा. नेहरू परिवार के मुस्लिम धर्म से धर्मान्तरण की कहानियां तमाम लोग कहते आए हैं, आखिर इसकी वजह क्या है ?
November 1, 2017 1:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: जब भी आप नेहरू परिवार के बारे में आप सर्च करेंगे तो सैंकड़ों लेखों में इंदिरा के परदादा और मोतीलाल नेहरू के पिता का नाम गयासुद्दीन गाजी लिखा मिलेगा. नेहरू परिवार के मुस्लिम धर्म से धर्मान्तरण की कहानियां तमाम लोग कहते आए हैं, आखिर इसकी वजह क्या है ? इसको जानने के लिए आपको नेहरू-इंदिरा परिवार की जड़ में जाना होगा.
जब नेहरू परिवार के सबसे पुराने सदस्य के बारे में आप पता करेंगे तो सामने नाम आएगा राज कौल का. जवाहर लाल नेहरू की किताबों में ही नहीं इंदिरा की बायोग्राफी में भी उन्हीं का नाम मिलता है. परिवार के मुताबिक वो कश्मीरी पंडित थे, कश्मीर में ही रहते थे और वहां संस्कृत और फारसी के जाने माने विद्वान थे. परिवार का दावा है कि जब मुगल बादशाह फरुखसियर कश्मीर दौरे पर आया तो वो राज कौल की प्रतिभा से काफी खुश हुआ और उन्हें दिल्ली में रहने के लिए आमंत्रित किया. राज कौल को दिल्ली में किसी नहर के पास एक घर बादशाह की तरफ से रहने के लिए दिया गया, एक जागीर भी दी गई. नहर किनारे रहने की वजह से उन्हें नेहरू कहा जाने लगा फिर वो नाम उनके फैमिली नेम हो गया.
चूंकि मुगल बादशाह फरुखसियर 1713 से लेकर 1719 तक केवल 6 साल ही दिल्ली का बादशाह रहा, नेहरूजी ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है कि वो 1716 में दिल्ली आए यानी तीन साल के अंदर फर्रुखसियर को गद्दी से हटाकर अंधा कर दिया गया, बाद में मार दिया गया. उसके बाद राज कौल के ठीक 140 साल बाद वो अपने खानदान के एक व्यक्ति का नाम लेते हैं, जो थे दिल्ली के कोतवाल. उस वक्त दिल्ली के कोतवाल की कमिश्नर जैसी ही हैसियत होती थी, नाम था गंगाधर नेहरू. परिवार का दावा है कि ये 1857 में दिल्ली के कोतवाल थे. इनकी एक ही तस्वीर मिलती है जो एक मिनिएचर पेंटिंग के तौर पर है, जिसमें उनके घनी लम्बी दाढ़ी मूछें हैं, और सर पर एक मुस्लिम टोपी लगाए हुए हैं. आगे की कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो