नई दिल्ली: आज हिमाचल प्रदेश में सीएम पद के लिए प्रेम कुमार धूमल के नाम का ऐलान करके अमित शाह ने फिर से चौंका दिया है. आम तौर पर सभी राज्यों में बिना सीएम कैंडिडेट के नाम का ऐलान किए केवल मोदी के नाम पर वोट मांगने वाली बीजेपी का ऐन मौके पर धूमल के नाम का ऐलान कोई आम बात नहीं है, वो भी तब जबकि लगातार जेपी नड्डा खुद को सीएम कैंडिडेट की तरह ही पेश कर रहे थे. मीडिया और बीजेपी भी मान कर चल रही थी कि उम्र पूरी करने जा रहे धूमल को इस बार सीएम बनाना शायद मुमकिन ना हो. ऐसे में सूत्रों के हवाले से आई है अंदर की बात. अंदर की बात ये है कि प्रेम कुमार धूमल ही नहीं उनके बेटे अनुराग ठाकुर को भी पहले से ही आशंका थी कि इस बार उनका नाम कट सकता है, वीरभद्र के नाम का तो कांग्रेस ने फिर से ऐलान काफी पहले कर दिया था लेकिन धूमल के नाम पर नड्डा नाम का ग्रहण मंडरा रहा था. जेपी नड्डा को केंद्रीय राजनीति में लाकर बड़ा बनाना और उन्हें फिर से हिमाचल की राजनीति में सक्रिय करना भी एक रणनीति थी. मोदी-शाह की जोड़ी किसी भी कीमत पर हिमाचल को इस बार खोना नहीं चाहती थी. हिमाचल क्या 2019 तक किसी भी राज्य को नहीं. ऐसे में नड्डा के तौर पर दूसरा विकल्प भी खड़ा किया गया तो धूमल-अनुराग ने एक खास रणनीति अपनाई.
इधर बीसीसीआई की सत्ता गंवा चुके अनुराग ठाकुर हिमाचल को खोने के मूड में नहीं थे, इसलिए दो साल पहले ही तैयारी शुरू कर चुके थे. अनुराग ने हिमाचल चुनाव के लिए अरसे से ही ना केवल संघ प्रचारकों को साधना शुरू कर दिया था, बल्कि एक बडी इलेक्शन मैनेजमेंट एजेंसी भी हायर कर ली थी, जिससे कई ऐसे लोग जुड़े हैं, जो मीडिया में काम कर चुके हैं. प्रेम कुमार धूमल ने भी कई सीनियर प्रचारकों से मुलाकात की और एक ही बात कही कि मैं सक्रिय राजनीति से सम्मानजनक विदाई चाहता हूं, मैं 75 का हो जाऊं तो सीएम की कुर्सी छोड़ने को तैयार हूं, लेकिन इस बार मुझे ही मौका दिया जाए. बताया जा रहा है कि एक दिन धूमल ने मोदी और शाह दोनों से यही बात कही, पार्टी के लिए अपने समर्पण को बताया और कहा आनंदी बेन पटेल की तरह मुझे भी एक मौका दिया जाए. इधर पार्टी पहले ही उम्रदराज हो रहे नेताओं से बेरुखी की खबरों के चलते परेशान हैं और आज अगर टीवी पर प्री इलेक्शन सर्वे में बीजेपी जीत रही है तो उसकी वजह नड्डा कम धूमल ज्यादा हैं. पिछले तीन-चार महीनों में धूमल पूरे हिमाचल के दो चक्कर लगा चुके हैं. हर सीट के बूथ स्तर तक के कार्य़कर्ता से धूमल खुद जाकर मिल चुके हैं. नड्डा तो वैसे ही केंद्र में हैं उनको समझाया जा सकता है, लेकिन धूमल के पास तो दूसरा विकल्प ही नहीं है.
दिलचस्प बात है कि धूमल आखिरी मौका दिए जाने की अपील अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के प्रबुद्ध लोगों से भी मीटिंग्स में कर रहे हैं. ऐसे में मोदी-शाह नहीं चाहते कि ऐन मौके पर कोई गडबड़ हो और फिर उनके पास 2019 के चुनाव के बाद मौका भी होगा कि धूमल की जगह किसी और को सीएम बना दिया जाए. सूत्रों के मुताबिक ऐसा वायदा खुद धूमल उनसे कर चुके हैं. क्योंकि धूमल 10 अप्रैल 2019 को पूरे 75 साल के हो जाएंगे. उसके कुछ पहले या बाद में धूमल को हटाए जाने की वजह भी बनती है. उसके बाद धूमल को किसी राज्य का गर्वनर बनाकर भी भेजा जा सकता है, लेकिन अभी पार्टी हिमाचल की जनता, पार्टी कार्य़कर्ताओं और धूमल फैंस को कोई नेगेटिव मैसेज नहीं देना चाहती.
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