नई दिल्ली: आधार कार्ड की अनिवार्यता मामले को सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संवैधानिक बेंच को सौंप दिया है. नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसमें कल्याणकारी योजनाओं में लाभ के लिए सरकार के आधार अनिवार्यता के खिलाफ चुनौती दी गई थी. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील अटॉनी जरनल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि इस मामले में बिना विस्तृत सुनवाई करे कोर्ट कोई आदेश जारी न करे.
गौरतलब है कि मोबाइल-आधार कार्ड लिंक कराने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सकार के अलावा देश की सभी मोबाइल कंपनियों को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सूचित करते हुए कहा कि आधार कार्ड जोडने की सीमा दिसंबर 2017 में खत्म हो रही थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक दी गई है.
अटॉनी जरनल के के वेणुगोपाल ने कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नही है कि सीबीएसई के दसवीं और बारहवीं की परीक्षा देने के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया है. बता दें कि महाराष्ट्र की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुंदरम ने केंद्र सरकार का समर्थन किया. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि आधार की वैधता को लेकर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही बहस करेंगे. जिसपर जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नवंबर के आखिरी हफ्ते में इस मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ करेगी. हालांकि सरकार ने कोर्ट में ऐसा कोई आश्वासन नही दिया कि जनकल्याणकारी योजनाओं से आधार कार्ड को लिंक करने की अंतिम तारिख वो बढ़ा रही है या नहीं.