नई दिल्ली: पराली जलाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पराली जलाने का मुद्दा उठाया. हरीश साल्वे ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में राज्य सरकारों को कहा है कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि किसानों के पास पराली जालाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसानों को ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया कराए ताकि किसान पराली न जलाए. वही मामले की सुनवाई में केंद्र सरकार के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वायु प्रदूषण मामले के लिए अब तक सॉलिसिटर जनरल पेश होते रहे हैं, लेकिन अब सॉलिसिटर जनरल के इस्तीफ़े के बाद ये मामला मेरे पास आया है लिहाजा मुझे कुछ समय दिया जाए ताकि केंद्र सरकार का पक्ष इन मामले में रख सके. कोर्ट अब अगले महीने इस मामले पर सुनवाई करेगा.
बता दें कि दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में वायू प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है. वायू प्रदूषण में बढ़ोतरी का असर सीधा लोगों के सेहत पर पड़ रहा है. दिल्ली-एनसीआर में वायू प्रदूषण बढ़ने के पीछे पराली जालाना भी एक बड़ी वजह है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के बावजूद भी पंजाब और हरियाणा के किसान बेधड़क पराली जला कर दिल्ली-एनसीआर के लोगों की परेशानी और बढ़ा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक केवल पंजाब में हर साल लगभग 20 मिलियन टन पराली उत्पन्न होती है. जिसमें अधिकतर को खेत में ही जला दिया जाता है. वही हरियाणा में रोक के बावजूद पराली जालाने का मामला सामने आया है. राज्य सरकार पराली जालने पर रोक लगाते हुए ऐसा करने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माना वसूल करती है साथ में जरूरत पड़ने पर एफआईआर भी दर्ज की जाती है.