लखनऊ. ताजमहल को प्यार का प्रतीक माना जाता है. अक्सर फिल्मों में भी प्यार को दर्शाने के लिए ताजमहल के इर्द गिर्द शूटिंग की जाती रही है. लेकिन आजकल ताजमहल पर बहस की छड़ी सी लगी हुई है. कोई इसे मुगलों की गुलामी का प्रतीक बताता है तो कभी ताजमहल को ऐतिहासिक धरोहरों की लिस्ट से हटा दिया जाता है. इस बार ताजमहल पर घमासान मचाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास विंग अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने डिमांड की है कि ताजमहल में होने वाली नमाज को रोक देना चाहिए. बता दें शुक्रवार को ताजमहल बंद रहता है. क्योंकि इस दिन यहां पर नमाज पढ़ी जाती है.
इंडिया टूडे से बातचीत में अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष डॉ बालमुकुंद पांडे ने कहा कि ताजमहल एक राष्ट्रीय विरासत है, इसीलिए ऐसे स्थानों को धार्मिक स्थान के लिए उपयोग करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. इस बयान के तहत पांडे ने मांग की कि ताजमहल में नजाम पढ़ने पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए. आगे इंडिया टूडे से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर ताजमहल में नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाती है तो हिंदुओं को शिव चालीसा पढ़ने की अनुमति भी दी जानी चाहिए.
इसके अलावा इस बातचीत में पांडे ने कहा कि वो ताजमहल पर कई सबूत एकत्रित कर रहे हैं जिसके बाद सच्चाई सामने आ जाएगी कि ताजमहल पहले एक शिवमंदिर था. जिसे एक हिंदू राजा के द्वारा बनवाया गया था. ऐसे में ताजमहल मोहब्बत की निशानी नहीं है. शाहजहां की मृत्यु के बाद चार महीने बाद ही मुमताज ने दूसरी शादी कर ली थी. गौरतलब है कि हाल में ही आगरा पुलिस ने हिंदू युवा वाहिनी के कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था क्योंकि वो ताजमहल के बाहर बैठ कर शिव चालीसा पढ़ रहे थे. हालांकि बात कबूल करने के बाद पुलिस ने उन्हे छोड़ दिया था.
बता दें, ताजमहल पर मचे घमासान के बीच उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ ने आगरा का दौरा किया था. इस दौरान मुख्यमंत्री ने ताजमहल के बाहर सड़कों पर सफाई भी की. लेकिन इसके तुरंत बाद एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ को बीजेपी और आरएसएस के दिमाग की सफाई करनी चाहिए.
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