राजनाथ सिंह का ऐलान, दिनेश्वर शर्मा करेंगे कश्मीर वार्ता, हुर्रियत से भी बात संभव

राजनाथ सिंह ने ऐलान किया है के नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के सभी पक्षों से सतत वार्ता शुरू करेगी जिसके लिए केंद्र के वार्ताकार पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा होंगे. हुर्रियत या अलगाववादियों से बात होगी या नहीं, ये शर्मा तय करेंगे.

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राजनाथ सिंह का ऐलान, दिनेश्वर शर्मा करेंगे कश्मीर वार्ता, हुर्रियत से भी बात संभव

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  • October 23, 2017 11:03 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. राजनाथ सिंह ने ऐलान किया है के नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के सभी पक्षों से सतत वार्ता शुरू करेगी जिसके लिए केंद्र के वार्ताकार पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा होंगे. राजनाथ सिंह ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया कि सरकार जम्मू-कश्मीर के सभी पक्षों से खुले दिल से बात करेगी. उन्होंने कहा कि कश्मीर वार्ता प्रक्रिया का फोकस राज्य के नौजवान और युवा लोग होंगे. सरकार के इस ऐलान का जहां वार्ता की वकालत करने वालों ने स्वागत किया है तो कुछ ने इसे सरकार के यू-टर्न के तौर पर लिया है जिनके मुताबिक सरकार कश्मीर मसले पर कोई बातचीत नहीं से बातचीत के टेबल की तरफ बढ़ रही है. केंद्र सरकार की तरफ से वार्ताकार नियुक्त किए गए दिनेश्वर शर्मा ही ये तय करेंगे कि हुर्रियत या अलगाववादियों से बात होगी या नहीं. राजनाथ सिंह ने कहा कि दिनेश्वर शर्मा को उनके काम में पूरी आजादी दी गई है और सरकार के इस प्रयास के बेहतर नतीजे जल्द सामने आएंगे. दिनेश्वर शर्मा इससे पहले असम में उग्रवादी संगठनों से शांति वार्ता कर रहे थे. बिहार के पाली गांव के रहने वाले दिनेश्वर शर्मा आईबी में तैनाती के दौरान अजित डोवाल के साथ काम कर चुके हैं. जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के आईजी के तौर पर शर्मा 2003 से 2005 तक काम कर चुके हैं.
राजनाथ सिंह ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में हुर्रियत या अलगाववादियों से भी बातचीत से इनकार नहीं किया है लेकिन ये साफ कर दिया कि वहां किससे बात होगी और क्या बात होगी, ये केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कश्मीर वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा तय करेंगे. राजनाथ ने कहा कि दिनेश्वर शर्मा सभी पक्षों से बातचीत करके अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे. याद रहे कि मनमोहन सिंह सरकार ने 2010 में कश्मीर वार्ता के लिए तीन सदस्यीय कमिटी बनाई थी जिसमें दिलीप पडगांवकर, राधा कुमार और एमएम कुरैशी शामिल थे. इस कमिटी ने 2012 में सरकार को अपनी रिपोर्ट और सिफारिश सौंप दी थी लेकिन उस रिपोर्ट या सिफारिश पर सरकार ने अमल नहीं किया.

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