रो-रो फेरी सर्विस से गुजरातवासियों की जिंदगी बनेगी आसान, मिनटों में पूरा होगा घंटों का सफर
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रो-रो फेरी सर्विस के सपने को पूरा कर दिया है, 2012 में गुजरात में मुख्यमंत्री रखते हुए उन्होंने रो-रो सर्विस की आधारशीला रखी थी. इस रोल-ऑन-रोल-ऑफ फेरी सर्विस सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात के लोगों के लिए बड़ी राहत मिलेगी.
October 22, 2017 7:54 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
घोघा : आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रो-रो फेरी सर्विस के सपने को पूरा कर दिया है, 2012 में गुजरात में मुख्यमंत्री रखते हुए उन्होंने रो-रो सर्विस की आधारशीला रखी थी. गौरतलब है कि घोघा-दहेजा रो-रो फेरी सर्विस की कुल लागत 615 करोड़ रुपए आई है. इस रोल-ऑन-रोल-ऑफ फेरी सर्विस सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात के लोगों के लिए बड़ी राहत मिलेगी. इन दो बंदरगाहों के बीच चलने वाली ये फेरी 100 वाहन (कार, बसों और ट्रकों) और 250 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है. गौरतलब है कि फिलहाल सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के बीच सड़क से दूरी तय करने में तकरीबन 10 घंटे का समय लगता है.
सौराष्ट्र के घोघा और दक्षिण गुजरात में दहेज के बीच का रास्ता 360 किलोमीटर का है जो अब फेरी सर्विस शुरू होने के बाद 31 किलोमीटर रह गया है. रो-रो पैसेंजर सर्विस पहली पैसेंजर फेरी बोट सेवा है जो घोघा से समुद्री रास्ते दक्षिण गुजरात में दहेज तक जाएगी. बता दें कि इस रो-रो फेरी सेवा का किराया 600 रुपए का है, आने वाले समय में इस सर्विस में पिकअप प्वाइंट और ऑनलाइन बुकिंग जैसी सेवाएं भी दी जाएंगी.
पीएम नरेंद्र मोदी का ऐसा सोचना था कि जो व्यापारी भावनगर अमरेली से सूरत व्यापार करने जाते हैं, उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन एक बार इस फेरी सर्विस के शुरू होने के बाद वह सुबह जाकर शाम को वापस आ सकते हैं. फेरी सर्विस के शुरू हो जाने से सौराष्ट्र के घोघा और दक्षिण गुजरात में दहेज के बीच यात्रा में 7-8 घंटे का समय घटकर अब सिर्फ आधा घंटा रह गया है.
फिलहाल अभी एक ही फेरी है जो दिन में 2-3 बार सर्विस देगी लेकिन जल्द ही 3-4 फेरी और शामिल की जाएंगी. बता दें कि फेरी सर्विस का किराया बस सेवा से सस्ता होगा. केंद्र सरकार ने सागरमाला पहल के अंर्तगत गोगा और दहेज दोनों ही बंदरगाह पर ड्रेजिंग कार्य के लिए 117 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं.
2016 में एक निजी फर्म ने राज्य सरकार के सहयोग के साथ ओखा के देवभूमि द्वारका जिले और कच्छ जिले के बीच एक आधुनिक यात्री नौका सर्विस (कच्छ-सागर सेतु) लॉन्च करने का प्रयास किया था. हालांकि, तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के बाद इसे निलंबित करना पड़ा था.