2013 में उजड़ गया था बाबा केदारनाथ धाम, हुई थी 4500 लोगों की मौत

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ मंदिर का दौरा कर कर रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी 5 योजनाओं का शिलान्यास करेंगे. बता दें कल केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने वाले हैं. इससे पहले नरेंद्र मोदी ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं.

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2013 में उजड़ गया था बाबा केदारनाथ धाम, हुई थी 4500 लोगों की मौत

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  • October 20, 2017 5:56 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
रुद्रप्रयाग. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ मंदिर का दौरा कर कर रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी 5 योजनाओं का शिलान्यास करेंगे. बता दें कल केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने वाले हैं. इससे पहले नरेंद्र मोदी ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं. केदारनाथ धाम कई मायनों में खास हैं. लेकिन 2013 में आई प्राकृतिक  आपदा के बाद इस धाम को काफी नुकसान पंहुचा था. इस आपदा से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. बता दें कि सर्दियों में केदारघाटी बर्फ से ढक जाती है, जिसकी वजह से केदारनाथ मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है और 6 महीने के बाद यानि अप्रैल के बाद मंदिर के कपाट खुलते है. 
 
16 जून 2013 को केदारनाथ में कुदरत के प्रलय ने कोहराम मचाया था. 2013 में आई बाढ़ में 4500 लोगों की मौत हो गयी थी. इस बाढ़ से राज्य में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. केदरानाथ के साथ उत्तराखंड के रामबाड़ा, सोनप्रयाग, चंद्रापुरी और गौरीकुंड में भारी नुकसान हुआ है. इस भयानक बाढ़ में केवल मंदिर का प्रमुख गुंबद ही रह गया था. इसके अलावा मंदिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का पूरा क्षेत्र बुरी तरह तबाह हो गया था.  उत्तराखंड में आई बाढ़ से हरिद्वार की ऊंची शिव मूर्ति भी ढह गयी थी. 
 
केदारनाथ मंदिर आस्था और मनोकामना के साथ-साथ धार्मिक पर्यटक बन चुका है. 2013 में आई बाढ़ से केदारनाथ के नजदीक बहने वाली मंदाकिनी नदी की धारा का रुख बदल गया. इस प्रलय में होटल, सड़के, धर्मशालायें और भंडार गृह सब नष्ट हो गया. उत्तराखंड में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएँ होती रही हैं, लेकिन इस भयानक त्रासदी में पूरा राज्य ही बह गया. इस भीषण आपदा के एक साल बाद 4 मई सुबह 6 बजे बाबा केदारनाथ के कपाट फिर से खोले गए थे. लेकिन 2014 में यहां पहले जैसी रौनक नहीं दिखी. पहले जहां केदारनाथ धाम में करीब 15 हजार से ज्यादा लोग रुकते थे, वहीं साल 2014 में सिर्फ 150 लोगों के ही रुकने के इंतजाम हो पाया था. 
 
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