सुखराम और अनिल शर्मा के बीजेपी में जाने पर वीरभद्र बोले- ‘आया राम, गया राम’ हैं ये
सुखराम और अनिल शर्मा के बीजेपी में जाने पर वीरभद्र बोले- ‘आया राम, गया राम’ हैं ये
अनिल शर्मा और सुखराम के कांग्रेस छोड़ने पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्हें इस्तीफे की पहले से उम्मीद थी. उन्होंने ये भी कहा कि उनके जाने से हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
October 16, 2017 11:10 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
शिमला: अनिल शर्मा और सुखराम के कांग्रेस छोड़ने पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्हें इस्तीफे की पहले से उम्मीद थी. उन्होंने ये भी कहा कि उनके जाने से हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मीडिया से बात करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा- इस घटना से मैं जरा सा भी आश्चर्यचकित नहीं हूं. हमें काफी पहले से पता था कि वो पार्टी से बाहर निकलने का मन बना रहे हैं और उनके इस फैसले से हमें कोई फर्क भी नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा ‘सुखराम आया राम गया राम के लिए जाने जाते हैं.’
कई और कांग्रेसी नेताओं के पार्टी छोड़ने की अटकलों के सवाल पर वीरभद्र सिंह ने कहा- अगर एक दो लोग पार्टी छोड़कर जाते हैं तो ये अच्छा है. उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी के भी कुछ पुराने नेता हैं जो कांग्रेस में शामिल होने की योजना बना रहे हैं. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता सुखराम और उनके बेटे अनिल शर्मा कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. कहा जा रहा है कि अनिल शर्मा बीजेपी की टिकट पर मंडी सीट से चुनाव लड़ेंगे.
दूसरी तरफ अनिल शर्मा ने बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार पत्रकारों से बात करते हुए उन कारणों का खुलासा किया है जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ी. वीरभद्र सिंह सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे अनिल शर्मा ने कहा कि उनके लिए उनके पिता की बेज्जती असहनीय हो गई थी. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर उनके पिता की बेज्जती करने और उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है. पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी क्यों छोड़ी तो उनका जवाब था ‘ ये तुरंत में लिया गया फैसला नहीं है. मुझे पिछले साढ़े चार साल से प्रताड़ित किया जा रहा था. पार्टी ने मुझे साइडलाइन कर दिया था. पिछले दिनों मंडी में हुई कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में भी मेरे पिता की बेज्जती की गई. उन्हें मंच पर जाने से रोक दिया गया.