नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘द कोएलिशन ईयर्स:1996-2012’ के तीसरे संस्करण में कई खुलासे किए हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी किताब में लिखा है कि 2012 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले उनकी और दिवंगत शिवसेना अध्यक्ष बाला साहेब ठाकरे से उनकी मुलाकात को लेकर सोनिया गांधी उनसे नाराज हो गई थीं. दरअसल सोनिया गांधी ने प्रणब मुखर्जी को बाल ठाकरे से नहीं मिलने की सलाह दी थी लेकिन प्रणब मुखर्जी फिर भी बाल ठाकरे से मिले जिसकी वजह से सोनियां गांधी उनसे नाराज हो गईं.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि- राष्ट्रपति पद के लिए कैंपेनिंग करते हुए वो महाराष्ट्र जाने वाले थे जहां बाला साहेब ठाकरे ने मातोश्री में उनके स्वागत की पहले से तैयारियां कर रखी थीं और उन्हें अपना समर्थन भी देने का एलान कर दिया था. बतौर प्रणब यूपीए-2 सरकार में सहयोगी पार्टी रही एनसीपी के नेता शरद पवार ने उनसे अनुरोध किया था कि वो बाल ठाकरे से मिलें. अपनी किताब में बाल ठाकरे मुलाकात को सही ठहराते हुए प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि- कैसे 13 जुलाई 2012 को वो मुंबई पहुंचे और बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना के अध्यक्ष बाल ठाकरे ने बिना समर्थन मांगे उन्हें अपना समर्थन देने का एलान कर दिया. प्रणब मुखर्जी के मुताबिक उनके लिए ये बिलकुल उम्मीदों से परे था.
बतौर प्रणब मुखर्जी- मैने सोनिया गांधी और शरद पवार से मैने पूछा कि क्या मुझे महाराष्ट्र दौरे के दौरान बाल ठाकरे से मिलना चाहिए? उन्होंने कहा- मुझे बाल ठाकरे के कई संदेश मिले हैं जिसमें उन्होंने मुझे अपने घर मातोश्री आने का न्योता दिया है. प्रणब मुखर्जी के मुताबिक ‘सोनिया गांधी को जब मैने ये बात बताई तो वो हमारी मुलाकात को लेकर खुश नहीं थी और वो चाहती थीं कि मैं बाल ठाकरे से ना मिलूं.’
प्रणब मुखर्जी के मुताबिक ‘ इस मामले में उम्मीद के मुताबिक शरद पवार के विचार बिलकुल ही उलटे थे. उन्होंने मुझसे अनुरोध किया कि बाल ठाकरे और शिवसैनिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का मातोश्री में बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उन्होंने पूरी तैयारियां भी कर रखी हैं.’ बतौर पूर्व राष्ट्रपति ‘ अगर वो बाल ठाकरे से मिलने नहीं जाते हैं तो वो इस व्यवहार को व्यक्तिगत बेज्जती के रूप में लेंगे. इसलिए मैने सोनिया गांधी की नाराजगी के बावजूद बाल ठाकरे से मिलने का फैसला किया क्योंकि मुझे लगा कि जिस शख्स ने अपनी परंपरागत सहयोगी पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर मुझे समर्थन देने का एलान किया है उसे निराश नहीं करना चाहिए.’ मैने शरद पवार से अनुरोध किया कि वो मुझे एयरपोर्ट से बाल ठाकरे के घर ले जाएं और वो मेरा अनुरोध मान गए.’
अपनी किताब में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि ‘ बाल ठाकरे से मिलने के बाद जब वो दिल्ली लौटे तो उन्हें अगली सुबह गिरिजा व्यास का फोन आया और उन्होंने मुझे बताया कि सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल उनकी बाल ठाकरे से मुलाकात को लेकर नाराज हैं.’ पूर्व राष्ट्रपति लिखते हैं कि ‘ सोनिया गांधी की नाराजगी की वजह को मैं समझता हूं लेकिन मुझे लगता है कि मैं सही था क्योंकि मुझे शरद यादव के सुझाव को भी ध्यान में रखना था. उनकी पार्टी यूपीए-2 का महत्वपूर्ण घटक दल थी और सरकार का कार्यकाल पूरा होने में दो साल का समय बाकी था. इसके अलावा ममता बनर्जी की पार्टी पहले ही यूपीए और राष्ट्रपति चुनाव से खुद को बाहर कर चुकी थी, ऐसे में मैं एनसीपी और शरद पवार को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकता था.’
इसी तरह वो बिहार के सीएम नीतीश कुमार से हुई बात को याद करते हुए लिखते हैं कि ‘ नीतीश कुमार ने एनडीए में शामिल होने के बावजूद उनकी राष्ट्रपति उम्मीदवारी का समर्थन किया था लेकिन उनसे ये भी अनुरोध किया था कि वो पटना ना आएं क्योंकि वो बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं और अगर मैं पटना आता हूं तो उन्हें एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करना होगा और विधायकों और मंत्रियों से उनकी मुलाकात करवानी होगी, क्योंकि उनमें बीजेपी के नेता भी शामिल होंगे तो उनके लिए ऐसा कर पाना थोड़ा मुश्किल होगा. इसलिए नीतीश कुमार ने मुझसे पटना ना आने का अनुरोध किया.’
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