आरुषि-हेमराज मर्डर केस: आज डासना जेल से रिहा होंगे राजेश और नूपुर तलवार
आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से बरी किए जाने के बाद अभी तक तलवार दंपति की रिहाई नहीं हो सकी है. संभावना जताई जा रही है कि आज तलवार दंपत्ति की रिहाई हो सकती है.
October 16, 2017 3:42 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
इलाहाबाद : आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से बरी किए जाने के बाद अभी तक तलवार दंपति की रिहाई नहीं हो सकी है. संभावना जताई जा रही है कि आज तलवार दंपत्ति की रिहाई हो सकती है. बताया जा रहा है कि सुबह 10 बजे सीबीआई कोर्ट खुलेगा और उसके बाद कोर्ट की औपचारिकता शुरू होगी. करीब 11 बजे तलवार का वकील मनोज सिसोदिया कोर्ट में जाएंगे और को हाई कोर्ट की सर्टिफाइड कॉपी सौपेगा. कोर्ट औपचारिकता में करीब 2 घंटे का वक़्त लग सकता है. करीब 1 बजे आदेश दस्ती परवाना लेकर डासना जेल के लिए चलेगा. करीब 1.30 बजे आदेश दस्ती डासना जेल पहुंचेगा. जेल में रिहाई की सारी तैयारी हो चुकी है. करीब 1 घंटे की औपचारिकता और मेडिकल के बाद करीब 2.30 बजे तलवार दंपत्ति जेल से रिहा हो सकते हैं. वहीं दूसरी ओर खबरें आ रही हैं कि तलवार दंपति अपना कीमती सामान जेल में बंद गरीब कैदियों को दान करेंगे और जेल के सजा के दौरान कमाया हुआ मेहताना भी नहीं लेंगे.
राजेश तलवार ने डासना जेल में 3 साल 10 माह और 21 दिन बतौर सजायाफ्ता कैदी के तौर पर काटे है. वहीं विचाराधीन कैदी के तौर पर 1 माह 20 दिन जेल में काटे हैं. नूपुर तलवार ने डासना जेल में 3 साल 6 माह और 22 दिन सजायाफ्ता कैदी के तौर पर काटे है. वहीं विचाराधीन कैदी के तौर पर 4 माह 26 दिन जेल में काटे हैं. राजेश तलवार का अब तक बंदी के तौर पर जेल में अपनी सजा काटने के दौरान 49 हजार 520 रुपए मेहनताना बना है. लेकिन उन्होंने वो पैसा लेने से मना कर दिया है. वही नूपुर का भी जो जेल में मेहंताना बना वो उन्होने लेने से मना कर दिया है.
राजेश और नूपुर तलवार ने जेल में जो भी अपनी जरूरतों के समान मंगाए थे जेल मैनुअल के हिसाब से जो कैदी बुला सकते है वो समान ये जेल में ही गरीब बंदी को बांटकर जेल से बाहर जाएंगे. वहीं राजेश और नूपुर तलवार जेल में जो भी अपनी धार्मिक इतिहास और आध्यात्मिक किताबें लाए थे वो जेल लाईब्रेरी में जेल बंदी के लिए छोड़कर जाएंगे.
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि तलवार के माता-पिता को संदेह का लाभ दिया और दोनों को मिली उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया है. बता दें कि गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने आरुषि की हत्या में उसके माता-पिता को दोषी मानते हुए उम्रकैद सुनाई थी. दोनों डासना जेल में बंद हैं. सीबीआई कोर्ट के फैसले को तलवार दंपति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. शुक्रवार को हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि माता-पिता ने आरुषि को नहीं मारा.