मुंबईः मुबंई से कोंकण जाने वाली तेजस एक्सप्रेस में रविवार को खराब खाने की वजह से 24 यात्रियों की तबियत खराब हो गई है. इस ट्रेन में खाना परोसने का ठेका आईआरसीटीसी के पास है. खाने में वेज और नॉन वेज दोनों होता है. आईआरसीटीसी ने जांच शुरू कर दी है और खाने के नमूने को जांच के लिए भेज दिया गया है. वहीं इस मामले से संबंधित आईआरसीटीसी के कैटरिंग डिपार्टमेंट के डायरेक्टर वी श्रीराम मुम्बई के लिए भी रवाना हो चुके हैं.
मिली जानाकरी के मुताबिक सुबह नाश्ते के बाद ही लोगों की दिक्कत शुरू हो गई थी और यह नाश्ता करीब 220 लोगों को दिया गया था. ट्रेन को चिपलुन स्टेशन पर रोका गया, यहां पर बीमार यात्रियों को लाइफ केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और उनका इलाज किया गया. डॉक्टरों ने पुष्टि की कि फूड पॉइजनिंग की वजह से यात्रियों की हालत बिगड़ी है. फिलहाल प्राथमिक उपचार के बाद सभी की हालत खतरे से बाहर है. बीमार यात्रियों ने बताया कि ट्रेन में सुबह का नाश्ता करने के बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी. सभी ने आईआरसीटीसी कैटरिंग से नाश्ता मंगवाया था.
कई बीमार यात्रियों के परिजनों ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए उनसे मदद मांगी. IRCTC अधिकारियों ने इस बारे में कहा कि करीब 11 बजे 220 यात्रियों को नाश्ता दिया गया था. जिसके कुछ देर बाद ही यात्रियों की तबियत खराब हो गई. अधिकारियों ने कहा कि यात्रियों के पास वेज और नॉन वेज खाने का ऑप्शन होता है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कौन सा खाना (वेज या नॉन वेज) खाने के बाद वह बीमार पड़े हैं. मामले की जांच की जा रही है. IRCTC अधिकारियों ने जांच के लिए खाने के सैंपल ले लिए हैं. IRCTC अधिकारी मामले पर नजर बनाए हुए हैं.
बता दें कि इसी साल मई माह में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सुपरफास्ट ‘तेजस एक्सप्रेस’ को हरी झंडी दिखाई थी. फिलहाल यह ट्रेन मुंबई से गोवा के बीच चल रही है. तेजस एक्सप्रेस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेन है. इस ट्रेन में टी और कॉफी वेंडिंग मशीनें, मैगजीन, स्नैक्स टेबल्स, LCD स्क्रीन, बायो-वैक्यूम टॉयलेट्स में वाटर लेवल इंडीकेटर्स, सेंसर्ड टैप और हैंड ड्रायर्स मशीनें लगी हैं.