मुंबईः महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) चीफ राज ठाकरे ने अपने भाई और शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए उन्हें तोड़फोड़ की राजनीति करने वाला बताया. राज ठाकरे ने कहा, ‘शिवसेना ने गंदी राजनीति की है. शिवसेना से यह उम्मीद नहीं थी. उन्होंने 5-5 करोड़ रुपये में हमारे पार्षदों को खरीदा है. बाला साहेब ने हमें ये नहीं सिखाया. जब मैंने शिवसेना छोड़ी थी तो बहुत से शिवसेना के विधायक और नेता मेरे साथ आना चाहते थे लेकिन मैं किसी को तोड़कर नहीं ले गया. हमें पक्ष नहीं तोड़ना था. शिवसेना छोड़ते समय मैं बाला साहेब से बोलकर निकला था कि अब शिवसेना में गंदगी हो गई है. मैं उद्धव ठाकरे की इस नीच राजनीति को कभी नहीं भूलूंगा.’
शिवसेना ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) चीफ राज ठाकरे को जोर का झटका दिया है. बीएमसी में एमएनएस के 7 में से 6 पार्षदों ने शिवसेना का दामन थाम लिया है. अब बीएमसी में एमएनएस का सिर्फ एक कॉरपोरेटर बचा है. एमएनएस ने शिवसेना पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से करवाने की मांग की है. 6 पार्षदों के पार्टी बदलते ही शिवसेना और एमएनएस में जुबानी जंग तेज हो गई है. एमएनएस ने दादर स्थित शिवसेना भवन के पास एक पोस्टर लगाया है. पोस्टर में लिखा है, ‘परिस्थिति जब परीक्षा लेती है तो जिद पैदा होती है. मांगते तो सातों (पार्षद) दे देते हम, लेकिन चुराकर सिर्फ छक्के ले गए.’
पार्षदों के पाला बदलने के मामले में बीजेपी भी कूद पड़ी है. बीजेपी सांसद किरीट सोमैया का आरोप है कि शिवसेना ने एमएनएस पार्षदों को किडनैप कर उन्हें तीन-तीन करोड़ रुपये की रिश्वत का ऑफर दिया था. किरीट सोमैया ने राज्य चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर स्वत: संज्ञान लेने और अलोकतांत्रिक तरीकों को रोकने की मांग की है. सभी आरोपों से बेअसर उद्धव ठाकरे ने पार्षदों की घर वापसी कहकर उनका स्वागत किया. उन्होंने कहा कि गधों को हॉर्स ट्रेडिंग की बात नहीं करनी चाहिए.
गौरतलब है, बीएमसी 2017 के चुनाव में 227 सीटों में शिवसेना ने 84 सीटें जीती थीं. 6 एमएनएस पार्षदों के शामिल होने के बाद यह आंकड़ा अब 90 हो गया है. बीजेपी 82 पार्षदों के साथ दूसरे नंबर पर रही थीं. शिवसेना 3 और बीजेपी 2 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन लेने में कामयाब रही. बीजेपी के एक पार्षद की मौत के बाद हुए भांडूप उपचुनाव में बीजेपी को एक सीट हासिल हुई. शिवसेना को आशंका थी कि 2019 के चुनावों के मद्देनजर बीजेपी शिवसेना पर बीएमसी की लड़ाई के जरिए दबाव डाल सकती है. बहरहाल एमएनएस पार्षदों के पाला बदलने के बाद अभी और राजनीतिक गहमागहमी पैदा होना तय माना जा रहा है.